दिल्ली में देश के उत्कृष्ट संस्थानों में से एक नेशनल गैलरी ऑफ माडर्न आर्ट में भारत की कुछ प्राचीनतम कलाकृतियाँ और कलात्मक वस्तुएँ हैं। इस गैलरी में लगभग 14,000 कलाकृतियाँ हैं जिनमें से कुछ 1850 ई. की हैं। जिन प्रसिद्ध कलाकारों की कलाकृतियाँ यहाँ प्रदर्शित हैं उनमें रवीन्द्रनाथ टैगोर, राजा रवि वर्मा, थोमस डेनियल, गगनेन्द्रनाथ टैगोर, अवनीन्द्रनाथ टैगोर, नन्दलाल बोस और विदेशी कलाकार तथा मूर्तिकार शामिल हैं।

कला पारखियों हेतु एक आदर्श दर्शनीय स्थल कोलकाता के ललित कला अकादमी में अनेक रोचक प्रदर्शनियाँ हैं जो इस शहर की समृद्ध परम्परा को प्रदर्शित करती हैं। 1993 में निर्मित यह सांस्कृतिक केन्द्र जमीनी स्तर की कला के प्रदर्शन हेतु आठ गैलरियाँ हैं। इसमें एक म्यूजियम भी है जिसमें विभिन्न काल की कलाएँ और कलाकारों का प्रदर्शन किया गया है। इसमें 1900 से लेकर अब तक की अनेक चित्रकलाओं तथा मूर्तिकलाओं का संग्रह किया गया है।

दिल्ली के लोधी कॉलोनी में लोधी आर्ट डिस्ट्रिक्ट है जिसमें आप सड़क के किनारे खड़े एक बाँसुरी विक्रेता का चित्र गलियारे की दीवारों पर, पुस्तकों के ढेर के पीछे बैठे एक सरदार जी जो अपना समाचारपत्र पढ़ रहे हैं, आकाश की ओर आलस्य भरी निगाहों से देखती गाय और अपने ग्राहकों को मिठाई बेचता हुआ दुकानदार तथा अन्य अनेक चित्र देख सकते हैं। एक वर्णनातीत इलाका जिसने स्तब्धकारी परिवर्तन देखे, यह आर्ट डिस्ट्रिक्ट ऐसा जीवन्त कैनवस है जो आपके आसपास के जीवन की कहानियाँ कहता है। गलियों के साथ-साथ की सफेदीयुक्त दीवारें भारत तथा विश्व के कलाकारों के लिए कैनवस बन गयी हैं जिन्होंने इस क्षेत्र को भारत के प्रथम सार्वजनिक कला केन्द्र में परिवर्तित कर दिया।

राष्ट्रीय महत्त्व का उत्कृष्ट म्यूजियम आशुतोष म्यूजियम ऑफ इण्डियन आर्ट कोलकाता की सम्मोहनकारी कला का अध्ययन करने के लिए सर्वोत्तम स्थानों में से एक है। इसमें सम्पूर्ण देश की चित्रकलाओं, डिजाइन, सिक्के, मूर्तिकलाएँ, लोककला की वस्तुएँ, लकड़ी की कसीदाकारी, वस्त्र तथा अन्य सजावटी कलाएँ प्रदर्शित हैं। लगभग 25,000 कलाकृतियों का यह विश्वविद्यालय म्यूजियम है।