दस दिनों तक चलने वाला ताज महोत्सव वार्षिक आयोजन है। ताज महल के पूर्वी गेट के निकट स्थित शिल्पग्राम में आयोजित इस महोत्सव में कला, शिल्प, संस्कृति की झलक देखने एवं व्यंजनों का स्वाद चखने को मिलता है। इस महोत्सव का आरंभ 1992 में हुआ था, जिसका उद्देश्य स्थानीय कलाकारों और आगरा की परंपराओं का प्रचार-प्रसार करना था। ताज महोत्सव में देश के अन्य राज्यों के कलाकार भी हिस्सा लेने आते हैं। यह महोत्सव उन्हें अपनी प्रतिभा एवं कौशल दिखाने तथा अपने उत्पाद की बिक्री का उचित मंच प्रदान करता है। यहां आने वाले देश एवं दुनिया भर के पर्यटकों को कला की विभिन्न शैलियों को जानने का अवसर मिलता है।
कला एवं शिल्प से संबंधित इस महोत्सव में 400 कलाकार हिस्सा लेकर अपना कार्य प्रदर्शित करते हैं। इस महोत्सव में तमिलनाडु की काष्ठ/पत्थर की नक्काशी, भारत के पूर्वोत्तर का बांस/बेंत का काम, दक्षिण भारत एवं कश्मीर का काग़ज़ की लुगदी का काम, आगरा का संगमरमर तथा ज़र्दोजी का काम, सहारनपुर का लड़की का काम, मुरादाबाद का तांबे का काम, खुर्जा के बर्तनों, लखनऊ की चिकनकारी, वाराणसी का रेशमी एवं ज़री का काम इत्यादि देखने का सुअवसर मिलेगा। शिल्प एवं पकवानों के अतिरिक्त, इस महोत्सव में पर्यटकों को भारत की अनेक लोक-परंपराएं देखने को मिलेंगी। देश भर के लोक-कलाकार विभिन्न प्रकार के लोकसंगीत, लोकगीत से भरपूर कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। यह ताज महोत्सव के आकर्षणों में से एक है। इस महोत्सव में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध अनेक कलाकार भी अपनी प्रस्तुति देते हैं।
ये कलाकार भारतीय शास्त्रीय से लेकर लोकप्रिय संगीत पेश करते हैं। इस आयोजन की अन्य विशेषताओं में फन फेयर भी है, जिसमें आगंतुक झूलों, टाॅय-ट्रेन की सैर का भरपूर आनंद उठा सकते हैं। अपने परिजनों के साथ यहां आना मौज-मस्ती से भरपूर साबित होगा।