ईद-उल-फितर इस्लामिक कैलेंडर के बेहद महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व रमज़ान (चांद से संबंधित इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना) जिसे रमादान भी कहते हैं, उस पावन माह की समाप्ति पर मनाया जाता है। इस पूरे माह श्रद्धालुगण रोज़े रखते हैं। ईद-उल-फितर त्योहार शावाल (चांद से संबंधित इस्लामिक कैलेंडर के दसवें महीने) के पहले दिन मनाया जाता है। इस विशेष दिन लोग पारंपरिक पोशाकें पहनकर मस्जिद में अथवा किसी खुली जगह पर एकत्रित होकर नमाज़ अता करते हैं। इसके बाद वे एक दूसरे को ‘ईद मुबारक’ कहकर बधाई देते हैं।
लोग अपने परिजनों, मित्रों अथवा सगे-संबंधियों के साथ लज़ीज़ पकवानों का भरपूर आनंद लेते हैं। इस पर्व पर खाए जाने वाले पारंपरिक पकवानों में शीर खुरमा (दूध और सेवइयों से बनी खीर, जिसमें सूखे मेवे डाले जाते हैं), मटन कोरमा (मसालेदार तरी में बना मांसाहारी व्यंजन, जिसमें सुगंधित मसाले, केसर तथा काजू की पेस्ट मिलाते हैं), बिरयानी (यह पकवान चावलों और मांस या चिकन से मिलकर बनाते हैं, जिसे धीमी आंच पर पकाया जाता है, जिसमें महकदार मसाले डाले जाते हैं) तथा शीरमाल (एक प्रकार की मीठी रोटी जो घी, मक्खन, केसर के दूध एवं चीनी के मिश्रण से बनती है) प्रमुख होते हैं।
ईद-उल-फितर के दौरान हलीम, जो मांस एवं दाल को मिलाकर बनाते हैं, यह भी प्रमुख रूप से खाते हैं। रमजान के दौरान इफ्तार (रोज़ा खोलने के लिए किए जाने वाला भोजन) में भी हलीम ही खाया जाता है।