calendar icon Thu, May 7, 2020

बुद्ध पूर्णिमा के ही दिन भगवान बुद्ध ने जन्म लिया था, इस विशेष दिन उन्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया था। यह पर्व बुद्ध जयंती अथवा वैशाख के नाम से भी जाना जाता है। यह विशेष दिन पूर्णिमा को मनाते हैं और अकसर यह पर्व अप्रैल या मई में मनाया जाता है। इस दिन देश भर में श्रद्धालुगण श्वेत वस्त्र धारण करते हैं।

एक दूसरे को बधाई देते हैं और भगवान बुद्ध की शिक्षा (धर्म) का प्रचार-प्रसार करते हैं।बिहार के बोधगया में यह पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। बताया जाता है कि यहां स्थित बरगद के एक वृक्ष के नीचे तपस्या करते हुए ही गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और वह भगवान बुद्ध बन गए थे। यहां के प्रसिद्ध महाबोधि मंदिर में एक बरगद का पेड़ लगा हुआ है, जिसकी उत्पत्ति उसी वास्तविक पेड़ से हुई है, जिसके नीचे बैठकर बुद्ध को आत्मज्ञान मिला था। इस दिन इसी पेड़ को रोशनी और फूलों से सजाया जाता है। इस अवसर पर दुनिया भर से श्रद्धालुगण, तीर्थयात्री और आगंतुक बड़ी संख्या में यहां आते हैं।

इस पर्व पर उत्तर प्रदेश में वाराणसी के निकट स्थित सारनाथ भी रोशनी से सजाया जाता है। सारनाथ में ही भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को अपना पहला उपदेश दिया था। इस विशेष दिन को मनाने के लिए यहां पर एक बड़ा मेला भी लगता है। हाथियों का एक भव्य जुलूस निकाला जाता है, जिन पर भगवान बुद्ध के पुरावशेष प्रदर्शित किए जाते हैं।