आमेर के शासक सवाई राजा जयसिंह ने सन 1725-1730 ई0 के बीच जंतर मंतर का निर्माण कराया था। इसका निर्माण हिंदू ज्योतिषियों और विद्वानों के अध्ययन और अनुसंधान के लिए, विशेष रूप से खगोलीय गणना तथा सूर्य, चंद्रमा और ग्रहों की गति संबंधी भविष्यवाणी के लिए किया गया था। यह 18 वीं शताब्दी में भारत में सवाई जयसिंह द्वारा निर्मित कराए गए पांच वेधशालाओं में से एक है। अन्य चार वेधशालाएं दिल्ली, मथुरा, जयपुर और वाराणसी में हैं। राजा जयसिंह की मदद से यहां स्थापित किए गए मूल यंत्रों में धूप घड़ी, नाड़ी वलय यंत्र, पारगमन यंत्र, दिग्यांश यंत्र और शंकु यंत्र शामिल हैं। इनमें से कई उपकरणों की उपयोगिता और महत्व को बताने वाली, तख्तियां और नोटिस बोर्ड, हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में जगह-जगह लगे हैं। इसे वेधशाला भी कहा जाता है। इन उपकरणों का उपयोग अभी भी अनुसंधान के लिए किया जा रहा है। यह वेधशाला वास्तुशिल्प का अद्भुत नमूना है। यह इस शहर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है जिसे अवश्य देखना चाहिए।

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