दुर्गादास की छतरी, शहर के सबसे खास स्थलों में से एक है। यह छतरी (छाते) के आकार में निर्मित एक स्मारक है। यह पारंपरिक राजपूत वास्तुकला शैली में बना है। इसमें बेहतरीन नक्काशी वाले आधार और स्तंभ हैं। हरियाली से चौतरफा ढ़ंका, यह स्मारक पर्यटकों को किसी रत्न की तरह लगता है।

मारवाड़ के इतिहास में वीर दुर्गादास को राज्य की निस्वार्थ सेवा के लिए जाना जाता है। जोधपुर के शासक (वर्ष 1873-1895) जसवंत सिंह की मृत्यु के बाद जोधपुर को एक स्वतंत्र राज्य बनाये रखने में दुर्गादास जी ने प्रमुख भूमिका निभाई। दुर्गादास ने मुगल बादशाह औरंगजेब की आज्ञा के विरुद्ध जसवंत सिंह के पुत्र अजीत सिंह की मदद की और उसे राजगद्दी पर बिठाने में सफल रहे। वर्ष 1718 में, रामपुरा में दुर्गादास की मृत्यु के बाद, जोधपुर के शासकों ने उनकी स्मृति में छतरी का निर्माण कराया।

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