बुमला दर्रा, 15,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है, और अपनी तीखी ऊंचाई कारण यहां लगभग सालो भर बर्फबारी होती रहती है। यहां से तिब्बती पठारों की सुंदरता देखते ही बनती है। इस दर्रा की ओर जाने वाले मार्ग आगंतुकों को कई तंद्रालु बस्तियों और प्राकृतिक झीलों के समीप से ले जाते है, जो आपकी यात्रा को यादगार बना देते हैं। भारतीय सेना बुमला दर्रा का रखरखाव करती है, और यह दर्रा उन लोगों को जरूर देखना चाहिए, जो यह देखना चाहते हैं कि भारतीय सेना कितनी विषम जलवायु में हमारी सीमा की सुरक्षा करती है। यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को अपने साथियों को कहने के लिए कई कहानियों होंगी कि भारतीय सेना ने उनका कैसे स्वागत किया, या क्या जलपान कराया और साथ ही उन्हें यह भी बताया कि ऊंचे इलाकों और तीव्र ठंढ़े जलवायु में कैसे रहा जाता है। बुमला दर्रा, भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच, आधिकारिक तौर पर सहमत बीपीएम (बॉर्डर पर्सनेल मीटिंग) के चार बिंदुओं में से एक है। निर्दिष्ट तिथियों पर, सांस्कृतिक कार्यक्रम भी दोनों पक्षों द्वारा आयोजित किए जाते हैं, जिन्हें लोग बड़े चाव से देखते हैं। एक टेलिस्कोप और कुछ दूरबीन भी भारतीय सेना की चेक पोस्ट के पास रखी रहती है। यह टेलिस्कोप और दूरबीन उन पर्यटकों के लिए होती है, जो यह देखना चाहते हैं कि सीमा के उस पार क्या है। यहां मौजूद सेना कैंटीन में गर्म चाय, पानी और कुछ गर्म मिठाई मिल जाती है जो उच्च ऊचाई (हाई ऑल्टिट्यूड) पर पर्यटकों की भूख और पोषण की आवश्यकताओं को पूरा करती है। दर्रा पर जाने के लिए विशेष परमिट की आवश्यकता होती है, जिसे तवांग में उपायुक्त कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है।

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