अंग्रेजों द्वारा नियुक्त राजकोट के दीवान, महात्मा गांधी के पिता करमचंद गांधी का भूतपूर्व निवास स्थान - काबा गांधी नो डेलो - एक विरासत स्थल है। इस घर में लगी तस्वीरों में हिंदी और गुजराती शीर्षकों के साथ महात्मा के जीवन को देखा जा सकता है। कहा जाता है कि 1881 से 1887 ई. तक गांधीजी ने अपने बचपन के शुरुआती साल इसी घर में बिताए थे। इमारत का ढांचा, वास्तुकला की सौराष्‍ट्रीय शैली में बनाया गया है और इसमें मेहराबदार द्वार और आंगन हैं। गांधी जी के निजी सामान और अन्य वस्तुओं जैसे कई ऐतिहासिक अवशेष भी यहां रखे गए हैं। इसके अलावा, हथकरघा के प्रति गांधी के लगाव को एक बुनाई स्कूल में प्रदर्शित किया जाता है जो युवा लड़कियों को सिलाई और कढ़ाई में दक्ष करता है। वर्तमान में इसका प्रबंधन एक गै़र सरकारी संगठन द्वारा किया रहा है।

अन्य आकर्षण