बेडसा गुफाएं

पुणे से लगभग 45 किमी दूर, मावल तालुका में बेडसा गुफाएं हैं जिनकी खुदाई पहली शताब्दी ईसा पूर्व में की गई थी। दो पूरी और दो अधूरी बौद्ध गुफाओं सहित, बेडसे निश्चित रूप से एक ऐसी जगह है जहां आप बार-बार जाना चाहेंगे। ढलान पर बनी सीढ़ियों की एक श्रृंखला के माध्यम से वहां पहुंचा जा सकता है। आपको वहां चट्टान काट कर बनाए गए कुछ तालाब और एक स्मारक स्तूप भी देखने तो मिलेगा जो वहां के मुख्य आकर्षण हैं। पत्थर की पटल वाले चैत्यगृह में कुछ अभिभूत करने वाली नक्काशी देखी जा सकती है। साथ ही वहां एक नक्काशीदार खंभे वाला एक बरामदा भी है, जो 25-फुट लंबा है और एक कटी हुई छत को संभालता है। घोड़ों और हाथियों की सवारी करने वाले दंपतियों की आकृतियों को इन स्तंभों पर गहनता से उकेरा गया है, जिससे खुद मूर्तियां होने का आभास होता है। छत भी सीधे कोण वाले खंभों पर टिकी है।

बेडसा गुफाएं

मालशेज़ झरना

खूबसूरत सह्याद्रि श्रृंख्ला पर स्थित, मालशेज़ घाट के पास खूबसूरत मालशेज़ झरना स्थित है। जहां एक तरफ आसपास की प्राकृतिक सुंदरता मंत्रमुग्ध करती है, वहीं यह स्थान एक शानदार ट्रैकिंग प्वाइंट भी है। कई किलों, मंदिरों और प्राचीन गुफाओं वाली ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियां, खोजकर्ताओं के लिए एक दिलचस्प मार्ग बनाती हैं। मानसून के महीनों (जुलाई से सितंबर तक) के दौरान, यह जलप्रपात किसी चमत्कार की तरह लगता है, जब यह अपनी पूरी शान से बहता है। पास में पिंपलगांव झील है, जहां आगंतुक एक शांत वातावरण में विचरण कर सकते हैं। झील से थोड़ी दूरी पर, लेण्याद्री गुफाएं और शिवनेरी किला स्थित हैं। पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होने के कारण, यह पुणे और मुंबई के लोगों के लिए पसंदीदा स्थान है। यदि आप एक लंबे प्रवास की योजना बनाना चाहते हैं, तो आवास के लिए कुछ विकल्प भी हैं।

मालशेज़ झरना

भीमशंकर वन्यजीव अभयारण्य

अभयारण्य उन लोगों के लिए एक आश्रयस्थल है जो प्रकृति के बीच समय बिताना पसंद करते हैं, और यह मुंबई और पुणे के लोगों के लिए पसंदीदा सप्ताहांत में से एक है। यह पर्णपाती जंगलों से ढका है  और बर्ड लाइफ इंटरनेशनल द्वारा आईबीए (महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र) के रूप में चिहिन्त किया गया है। शेखरू या विशाल उड़न गिलहरी, महाराष्ट्र का राजकीय पशु, इस वन्यजीव अभयारण्य में, अन्य वनस्पतियों और जीवों सहित पाया जाता है। इसके वन व्याख्या केंद्र में एक पुस्तकालय भी है। अभयारण्य दुनिया के 12 जैव विविधता वाले केंद्रों में से एक है। पश्चिमी घाटों में स्थित, यह एक जलग्रहण क्षेत्र भी है जो भीम और घोड़ नदियों को पानी की आपूर्ति करता है। घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी तक है।

भीमशंकर वन्यजीव अभयारण्य

पार्वती हिल

2,100 फीट की ऊंचाई पर स्थित, पार्वती हिल एक लोकप्रिय मंदिर है जो देवी पार्वती को समर्पित है। पेशवाओं (1674-1818) के शासन के दौरान निर्मित, इसे पुणे की सबसे पुरानी विरासत इमारत कहा जाता है। इस जगह तक पहुंचने के लिए 108 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। पार्वती हिल श्रद्धालुओं के लिए एक आदर्श स्थान है, क्योंकि इसकी ढलान पर अन्य मंदिर भी हैं, जो भगवान देवेश्वर, भगवान विठ्ठल और देवी रुक्मिणी, भगवान विष्णु, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय को समर्पित हैं। इनमें से अधिकांश सत्रहवीं शताब्दी में जब नाना साहेब पेशवा मराठों पर शासन कर रहे थे, बनाए गए थे। पर्यटक पार्वती संग्रहालय भी जा सकते हैं जिसमें पेशवा बहादुरों, पांडुलिपियों, हथियारों और सिक्कों के चित्र हैं। मंदिर का उपयोग एक बार पेशवाओं द्वारा एक प्रकार के गुम्मट के रूप में किया जाता था, जहां से वे दुश्मनों पर नजर रख सकते थे। स्थानीय किंवदंती है कि पेशवा राजा, बालाजी बाजीराव ने इसी बिंदु से किर्की की लड़ाई का अवलोकन किया, और अंग्रेजों को हारते और उन्हें भागता देखा था।आज पर्यटक इस पहाड़ी से शहर के लुभावने दृश्य देख सकते हैं।

पार्वती हिल

भजा गुफाएं

भजा गुफाओं में बौद्ध धर्म के हीनयान चरण से संबंधित 25 बौद्ध गुफाएं हैं, और लोनावला के पास, पुणे से लगभग 56 किमी दूर स्थित हैं। वे सभी तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व और दूसरी शताब्दी ईस्वी के बीच बनाईगई थीं। महाराष्ट्र राज्य का सबसे पुराना मानव निर्मित चैत्यग्रह  यहां स्थित है और एक घोड़े की नाल के आकार का मेहराब से निकल कर इस हॉल तक पहुंचते हैं। वास्तव में, यह यहां एक ही है। अन्य सभी गुफाएं विहार हैं, जो आवासीय गुफाएं हैं जिनके भीतर अलग-अलग कक्ष बने हुए हैं। ये गुफाएं ताल वाद्य, तबले के इतिहास के बारे में बताती हैं। लगभग 200 ईसा पूर्व की नक्काशी में एक महिला को तबला बजाते हुए दिखाया गया है, जबकि अन्य नक्काशियों में नृत्य प्रदर्शन हैं। बौद्ध भिक्षुओं के अवशेष माने जाने वाले स्तूप भी यहां देखे जा सकते हैं। 

भजा गुफाएं