हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक समारोहों में से एक, कुंभ मेला देश के चार प्रमुख तीर्थस्थलों अर्थात इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक के इर्द- गिर्द बीच घूमता है। यह महोत्सव नासिक के त्र्यंबकेश्वर में आयोजित किया जाता है और करीब 30 लाख तीर्थयात्री आते हैं!

हिंदू परंपराओं के अनुरूप, धार्मिक लोग अपने माथे पर चंदन के पेस्ट और अन्य रंगीन पाउडर के साथ सजावटी पैटर्न बनाते हैं। उनका मानना ​​है कि चंदन का लेप न केवल शरीर को ठंडा रखता है, बल्कि माथे पर लेप होने पर भगवान शिव की तीसरी आंख का संकेत मिलता है। उन्हें एक या कई रुद्राक्ष माला (रुद्राक्ष के फल के बीज की एक माला, जिसे हिंदुओं द्वारा पवित्र माना जाता है) पहने देखा जा सकता है।

केवल भक्त ही नहीं, बल्कि हजारों संत अध्यात्म और भक्तिमय वातावरण में डूबकी लगाने कुंभ मेले में आते हैं। वे रामकुंड और कुशावर्त जलाशयों के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं; यह कार्य सभी अशुद्धियों और पापों को नष्ट करती हैं, यह माना जाता है। अन्य धार्मिक गतिविधियां जो इस त्योहार का एक हिस्सा हैं, उनमें चर्चा, भक्ति गायन, पवित्र पुरुषों,महिलाओं और गरीबों के सामूहिक भोजन के साथ ही, पवित्र ग्रंथों और विषयों पर बहस के लिए धार्मिक सभाएं शामिल हैं।

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