मथुरा में एक बड़ा सीड़ीदार पोत्र कुंड है, जो भगवान कृष्ण के अनुयायियों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है। लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, माता देवकी और वासुदेव इस कुंड की सीड़ियों पर अपने बच्चों के कपड़े धोते थे। वास्तव में, 'पोत्र' शब्द का अर्थ है, कपड़े। यह मूल रूप से एक पवित्र कुंड के रूप में जाना जाता था, और कहा जाता है कि यहां आकर आत्मा शुद्ध हो जाती है।
यह कुंड कृष्ण जन्मभूमि से सटा हुआ है और यह 3 किमी दूर बहती यमुना नदी के से भूमिगत पाइपलाइनों द्वारा जुड़ा हुआ है। यह उस जेल का एक हिस्सा था, जहां देवकी और वासुदेव कैद थे और यहीं पर भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था।
भगवान के साथ इसके संबंध को देखते हुए, न जाने कितने ही भक्त इस विश्वास से पोत्र कुंड आते हैं कि यहां आकर उनकी आत्मा शुद्ध हो जाएगी, और उनके सारे पाप धुल जाएंगे। यहां हर कोई नई शुरुआत की तलाश में आता है, यही कारण है कि यह त्योहारों और अन्य विशेष अवसरों के दौरान यहां विशेष रूप से भीड़ रहती है।

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