गहरे हरे पेड़ों से घिरा, जीवंत फूलों से सरावोर कुसुम सरोवर एक शांत स्थल है। प्रचलित मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण और इनकी गोपियां इसी सरोवर में मिलती थीं। ऐसा कहा जाता है कि देवी राधा अपनी सहेलियों के लिए पुष्प इकट्ठे करने के बहाने यहां आती थी, लेकिन चुपके से भगवान कृष्ण से मिल जाती थीं और उनके साथ जल क्रीड़ा करती थीं।
वर्ष 1675 तक यह एक प्राकृतिक सरोवर था, लेकिन ओरछा (1605-1626) शासक बीर सिंह देव द्वारा इसका ठीक से निर्माण करवाया गया था। इस सरोवर के निकट एक शानदार सेनेटाफ (स्मारक) स्थित है, जो भरतपुर के राजाओं द्वारा बनवाया गया था। यह स्मारक जटिल नक्काशी और सुंदर डिजाइन का है, जो भरतपुर के राजा सूरज मल (1707-1763) के शानदार जीवन को दर्शाती है। मुख्य मकबरे में 57 वर्ग फुट क्षेत्र भी शामिल है। यह स्मारक राजा सूरज मल को समर्पित है। इसमें उनके दोनों ओर उनकी दो रानियां हंसिया (अपनी वफादार दासी सहित) और किशोरी की मूर्तियां हैं। ये मूर्तियां 460 फुट लंबे चबूतरे पर स्थित हैं, जिसमें प्रत्येक छोर पर एक उथला मंडप है, जो ओट का काम करता है।

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