मनाली के चुंबकीय शहर में साहसी, प्रकृति प्रेमियों के साथ-साथ मनोशांति चाहने वालों की आत्मा बसती है। उत्तर भारत के राज्य हिमाचल प्रदेश में, हिमालय की गोद में बसा मनाली, एक आकर्षक हिल स्टेशन है। कुल्लू घाटी के उत्तरी छोर का यह हिस्सा, ब्यास नदी के तट पर, समुद्र तल से लगभग 1,926 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। फूलों से भरे घास के मैदान, गड़गड़ाते झरने, बर्फ से ढ़ंके पहाड़, बुलंद पर्वतीय दर्रे, मंदिरों और बौद्ध मठों से भरे इस छोटे से शहर में, एक परी-कथा की सेटिंग का आकर्षण है।आप पैदल घूम कर मनाली का दर्शन कर सकते हैं, या पैराग्लाइडिंग कर इसकी उठती गिरती हरी ढलानों और सेब के बागों को दिग्दर्शन कर सकते हैं। यदि आप यहां सर्दियों में आ रहे हैं, तो स्कीइंग करने के लिए मनाली की बर्फ से ढकी ढलानों पर जाएं। एडवेंचर के शौकीन लोग यहां रिवर रॉफ्टिंग और ट्रेकिंग के लिए आते हैं। अनेक संस्कृतियों को करीब से देखने और अनूठे अनुभवों से गुजरने के लिये मनाली एक आदर्श पहाड़ी सैरगाह है, सभी तरह के लोगों के लिये।हिंदू पौराणिक कथाओं के पन्नों में भी, मनाली को जगह मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि एक दिन वरवस्वत, जो प्राचीन ग्रंथ मनुस्मृति के लेखक मनु के सातवें अवतार थे, उन्होंने एक छोटी मछली को उस पानी में पाया जिसमें वे स्नान कर रहे थे। मछली ने उन्हें उसकी देखभाल करने की विनती की, और कहा कि एक दिन यह उनके लिए एक महान सेवा कहलायेगी। उन्होनें उसका पालन किया और उस मछली की देखभाल उसके बड़े होने तक की और फिर उसे समुद्र में छोड़ दिया। जाने से पहले, मछली ने उन्हें सतर्क किया कि एक दिन बाढ़ से दुनिया डूब जाएगी, और इसलिये उन्हें अभी से ही एक बड़ी नौका बनाने की सलाह दी ताकि वे सुरक्षित बच सकें। जब जलप्रलय आया, तो उस नौका पर चढ़े वरवस्वत और सात ऋषियों को, उस मछली द्वारा एक सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया, जिस कारण मछली को, भगवान विष्णु का पहला अवतार माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब बाढ़ का पानी उतरा, तो वह नौका एक पहाड़ी के किनारे जाकर लगी, जिसे बाद में मनाली नाम दिया गया। धीरे-धीरे जब बाढ़ का पानी घटता गया, जीवन और प्राकृतिक सुंदरता फिर से जीवंत हो गई और एक अत्यंत ही सुहावना परिदृश्य वरवस्वत को देखने मिला।

कैसे पहुँचे