परूथीपल 

आप मदुरै जाएँ तो परूथीपल का आनंद अवश्य लें, क्योंकि यह अद्भुत पेय केवल तमिलनाडु राज्य के कुछ ही शहरों में उपलब्ध है और मदुरै उनमें से एक है। कपास के बीजों, कच्चे चावल के आटे, गुड़ और नारियल से तैयार किया गया परूथीपल दक्षिण भारत का एक पारंपरिक पेय है, जिसका उपयोग घरेलू उपचार के उद्देश्य से एक औषधीय पेय के रूप में भी किया जाता है। 

परूथीपल 

कुत्थुपरोट्टा 

कुत्थुपरोट्टा अर्थात कीमेदार ‘पैरोट्टा’ या परांठा एक लज़्ज़तदार पकवान है जो दक्षिण भारत में बहुत लोकप्रिय है। सड़क के किनारे ठेलों व दुकानों पर बहुतायत में बेचे जाने वाले इस व्यंजन को मुट्टिपरोट्टा के नाम से भी जाना जाता है। इसे सरसों, जीरा, अदरक-लहसुन, करी पत्ते, अंडे और चुनिन्दा सब्जियों और मसालों से बनाया जाता है। यह स्वादिष्ट पकवान की उत्पत्ति विरुधुनगर में हुई बताई जाती है, और तमिलों के पसंदीदा पकवानों में से यह एक है। इसके कुछ प्रकारों में मुत्तई कोथु पैरोट्टा, मिर्च पैरोट्टा और एग कुत्थुपरोट्टा शामिल हैं। ये कुरकुरे परांठे सबसे ज़्यादा मज़ा तब देते हैं जब इन्हें चिकन/सब्जियों और अंडे के साथ बनाई जाने वाली पानीदार ग्रेवी, सालना ग्रेवी के साथ परोसा जाए।

कुत्थुपरोट्टा 

करी दोसाई

मदुरै में आपको पिज़्ज़ा जैसा दिखने वाला यह मोटी परत वाला ज़ोरदार व्यंजन अपनी ओर आकर्षित अवश्य करेगा, जिसे यहाँ के स्थानीय लोगों द्वारा भी बहुत पसंद किया जाता है। इसका आधार अंडे की एक परत से बना हुआ होता है, उसके बाद बीच में एक मोटा और भरापूरा डोसा होता है और इस सबके ऊपर बारीक कीमा किए हुए मटन अर्थात बकरे के माँस की एक परत मौजूद होती है। और अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए इस व्यंजन को विभिन्न मसालेदार मिश्रणों से आबद्ध किया जाता है। कहते हैं कि इस पकवान का आविष्कार अधिकांशतः गाय और बकरी के चरवाहों के रूप में काम करने वाले कोनार समुदाय के लोगों ने किया था।

करी दोसाई

जिगरठंडा 

यह मज़ेदार नाम सुनते ही आपके होठों पर मुस्कान तैर जाती है, और ‘जिगरठंडा’ नाम का यह ठंडा पेय पदार्थ भी कम मज़ेदार नहीं है, जिसकी उत्पत्ति इसी मदुरै शहर में हुई थी। जैसा कि नाम से साफ़ ज़ाहिर होता है, ‘जिगरठंडा’ का शाब्दिक अर्थ ही जिगर या यकृत को ठंडक पहुँचाने वाली चीज़ है। दूध, बादाम की गोंद, अनंतमूल की जड़ के रस, चीनी और कुल्फी को मिला-जुला कर तैयार किया गया जिगरठंडा मदुरै की सबसे प्रसिद्ध मीठी चीज़ है। अपने यह स्वाद और रंगरूप में यह पूरे देश में मशहूर फालूदा से मिलता-जुलता लगता है। जिगरठंडा का स्वाद लेना हो तो आप मदुरै में ईस्ट मार्राट स्ट्रीट पर ज़रूर जाएं जो इसके लिए प्रख्यात है।

इसकी उत्पत्ति के बारे में कुछ स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि मदुरै सल्तनत के दौरान जिगरठंडा मदुरै आया था; जबकि कुछ अन्य लोगों का कहना ​​है कि इसे इस शहर में अर्कोट नवाबों द्वारा लाया गया था। गर्मियों के मौसम में आप इस तरावट भरे पेय को मदुरै में सड़क के किनारे स्टालों पर परोसा जाता देख सकते हैं, और यह निश्चित है कि उस समय आप ख़ुद को इसका मज़ा लेने से रोक नहीं पाएँगे।

जिगरठंडा 

अप्पम

किण्वित चावल के गाढ़े घोल और नारियल के दूध से तैयार किए जाने वाले मज़ेदार अप्पम को पैनकेक्स का भारतीय संस्करण कहा जा सकता है। अप्प्म का आविष्कार भारतीय उपमहाद्वीप में ही हुआ, और श्रीलंका, तमिलनाडु और केरल के क्षेत्रों में यह एक आम भोजन के रूप में प्रचलित है। यूँ तो इसे एक बेहतरीन नाश्ते के तौर पर जाना जाता है, लेकिन दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में रात के खाने में भी इसे चाव से खाया जाता है। मज़ेदार बात है कि श्रीलंकाई लोग अप्पम के लिए इसका अंग्रेज़ीदां नाम ‘हॉपर’ इस्तेमाल करते हैं, तो वहीं इंडोनेशिया के लोग इन्हें ‘क्यू एपेम’ कहते हैं। अप्पम को जिस ख़ास बर्तन ‘अप्पामेथिन’ में पकाया जाता है, उसका आकार वैसा ही हो जाता है। अगर आप अप्पम का स्वाद उठाएँ तो उसके साथ मसालों के मिश्रण या करी की संगत बैठना बिलकुल न भूलें, यह जुगलबंदी निश्चित रूप से आपके आनंद को दोगुना कर देगी।

अप्पम