औपनिवेशिक कशिश की एक झलकए शहर की ऐतिहासिक इमारतों में से एकए ला मार्टीनियर कॉलेज एक खूबसूरत इमारत है। वर्ष 1845 में इसे मेजर जनरल क्लॉड मार्टिन की वसीयत के अनुसार स्थापित किया गया था। 13 सितंबरए 1800 को लखनऊ में फ्रांसीसी मूल के इस संस्थापक का निधन हो गया और उनकी मृत्यु के दिन को संस्थापक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्हें ला मार्टीनियर मेमोरियल हॉल के नीचे बेसमेंट में दफनाया गया था। कॉलेज का एक समृद्ध इतिहास है और यह कॉलेज वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से प्रभावित हुआ था। इसे ब्रिटिशों के हवाले कर दिया गया था और स्कूल की सुरक्षा की दृष्टि से प्रिंसिपल ने बड़ी मात्रा में यहां रसद रखवा दिया था। इस कॉलेज में प्रवेश पाने के लिए लोग लालायित रहते हैं। इसने हमें सैनिकए नाविक और पायलट दिये हैंए जिन्होंने दो विश्व युद्धों और स्वतंत्र भारत के युद्धों के बीच फैली डेढ़ शताब्दी के दौरान अपनी प्रमुख भूमिका निभाई है। निस्संदेहए स्कूल के इस समृद्ध इतिहास को देखते हुए यहां हमारा एक दौरा तो बनता ही है। ला मार्टीनियर के दो मुख्य परिसर हैं.जूनियर स्कूल परिसर में तीन खंडों में प्री.स्कूल और जूनियर कक्षाएं हैंए जबकि कॉन्स्टैंटिया कैम्पस में आवासी विद्वानों और स्टाफ के रिहाइशी क्वार्टरों के साथ मीडियम और सीनियर कक्षाएं हैं। इन दो इमारतों के बीच एक हरियाला गोल्फ कोर्स है। कॉलेज का प्रसिद्ध स्वागत कक्षए श्ब्लू रूमश् संस्थापक के एक बड़े पोर्ट्रेट से सजा है। क्रमशरू अलंकृत छतों और रंगीन कांच की खिड़कियों वाले गिरजाघर और पुस्तकालय विक्टोरियन वास्तुकला की उम्दा मिसालें हैं।

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