बड़ा इमामबाड़ा संभवतः लखनऊ का सबसे जाना पहचाना और लोकप्रिय प्रतीक है। साल भर हज़ारों पर्यटक यहां आते रहते हैं।किसी अकाल के दौरान अवध के लोगों को रोज़गार मुहैया कराने के लिए एक राहत परियोजना के रूप में निर्मित बड़ा इमामबाड़ा का निर्माण नवाब असफ.उद्.दौला द्वारा 18वीं सदी के दौरान किया गया थाए और बुनियादी रूप से इसके नाम का मतलब इबादत का एक बड़ा मुक़ाम है। नफीस मेहराबों और झरोखों वाली इसकी वास्तुकलाए राजपूतए मुग़ल और गोथिक प्रभाव समेटे हुए है। इमामबाड़ा के दो मुख्य प्रवेश हैंए दोनों ही बड़े दरवाज़ों से महफूज़ हैं। कहा जाता है कि इसके सेंट्रल हॉल की छत में बिना बीम या खंभों के इंटरलॉकिंग ईंटों का इस्तेमाल किया गया है। ढांचे में गलियारों का एक अद्भुत चक्रव्यूह है जिसे श्भूल भूलैयाश् कहा जाता है। इसमें 1000 से अधिक पेचीदा गलियारों का एक संजाल हैए जिनमें से कुछ प्रवेशद्वारों या निकास बिंदुओं तक जाते हैं और बाकी बंद गलियों तक। उलझते.उलझाने वालेए रास्तों के मुहानों पर 489 द्वार भी बने हैं। नवाब की कब्र एक छतरी के नीचे मौजूद है। एक समय मेंए गोमती नदी तक जाती एक मील.लंबी अंडरग्राउंड सुरंग होती थी जो इसके तिलिस्म को और बढ़ाती थी। प्रमुख इमारत को घेरे हरे.भरे वृक्ष और बग़ीचे हैं जो एक इत्मीनानी टहल के लिए या बड़ा इमामबाड़ा की शान में आराम करने के लिए एकदम सही हैं।

अन्य आकर्षण