
क्षमा करें, हमें आपकी खोज से मेल खाने वाली कोई भी चीज़ नहीं मिली।
वास्तव में मुंह में पिघल जाने वाली डिशए गलावटी कबाब या गलौटी कबाब को बारीक पिसे हुए गोश्त और कच्चे पपीते को मिलाकर तैयार किया जाता है। उसके बाद मसालों के मिश्रण के साथ उसे पकाया जाता है। अंडे का उपयोग मांस और अन्य सामग्रियों जैसे कुचले हुए अदरकए लहसुनए और तले हुए प्याज को एक साथ मिल जाने के लिए किया जाता है। इस मिश्रण को फिर एक तवे पर घी में पतलेए गोल पैटीज़ का आकार दिया जाता है और फिर इसे तेल में हल्का तला जाता है। पैटीज़ ;कबाबद्ध का बाहरी हिस्सा हल्का सोंधा ;सुनहराद्ध होने परए उन्हें बाहर निकाल लिया जाता है और कच्ची प्याज़ और नींबू के साथ परोसा जाता है।यह विशेष व्यंजन लखनऊ के नवाबए आसफ.उद.दौला के लिए विशेष रूप से उस समय बनाया गया था जब उनके मुंह में दांत नहीं थेय और वह चबा नहीं सकते थे। कबाब का यह विशेष रूप 16 वीं शताब्दी में उनके लिए बनाया गया था। इसमें मांस को बेहद बारीक काटा और पीसा जाता है और फिर स्वादिष्ट मसालों के साथ मिलाकर पकाने पर इसका स्वाद पहले निवाले से ही अद्भुत लगता है।वास्तव मेंए यह नवाब कबाब का इतना शौकीन था कि वह अपने मजदूरों को भी इसे चखने के लिए दे दिया करता था! कहा जाता है कि हर दिनए कुछ नई सामग्री मिलाकर उन्हें भर प्लेट कबाब परोस दिया जाता थाए और वे उस सामग्री का अनुमान लगाने की कोशिश करते थे। माना जाता है कि मोती पुलाव के आविष्कारकए हाजीमोहम्मदफ़ख्र.ए.आलम साहब थेए जिन्होंने 150 विदेशी मसालों का उपयोग करके पहली बार गलावटी कबाब बनाया था।