हावड़ा ब्रिज, हुगली नदी के ऊपर, ब्रिटिश काल में बनाया गया, एक विशाल स्टील का पुल है। यह इस शहर की एक ऐतिहासिक संरचना है। माना जाता है कि यह दुनिया के सबसे लंबे कैंटिलीवर पुलों में से एक है, यह 700 मीटर लंबा पुल हावड़ा शहर को कोलकाता से जोड़ता है और इसे हावड़ा ब्रिज के नाम से जाना जाता है। वर्ष 1943 में निर्मित इस ब्रिज को न्यू हावड़ा ब्रिज कहा जाता था। इसे रवीन्द्र सेतु भी कहा जाता है। वर्ष 1965 में महान कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता पहले भारतीय की श्रद्धांजलि के रूप में इसका नाम रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर रवीन्द्र सेतु रखा गया।
रवीन्द्र सेतु (वर्ष 1965 में महान कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता पहले भारतीय की श्रद्धांजलि के रूप में इसका नाम रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर रवीन्द्र सेतु रखा गया)
लगभग 80,000 वाहन और 1,000,000 पैदल यात्री रोजाना इस पुल से गुजरते हैं। लगातार बारिश, एक जापानी हवाई हमले और यातायात की कठिन परिस्थितियों को झेलने के बावजूद यह पुल मजबूती से खड़ा है। यह पुल रात की रोशनी में बहुत भव्य दिखता है, हर फोटोग्राफर इसे अपने कैमरे में कैद करना चाहता है। नदी में नाव की सवारी करके आप इन शानदार दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।
हुगली नदी पर तीन और अन्य पुल हैं-हुगली नदी का दूसरा ब्रिज, विद्यासागर सेतु के नाम से जाना जाता है, इसे विवेकानंद सेतु या निवेदिता सेतु भी कहते हैं, इस पुल को इंजीनियरिंग चमत्कार के रूप में देखा जाता है।

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