कलकत्ता से लगभग 130 किमी दूर स्थित यह 11वीं शताब्दी का शहर नबद्वीप ऐतिहासिक आकर्षणों से भरपूर है। ये प्राचीन मंदिरों और भव्य स्मारकों के लिए जाना जाता है। यहां राजा बल्लाल सेन और राजा लक्ष्मण सेन ने सन् 1159 से सन् 1206 के बीच शासन किया था, उन दिनों सेन साम्राज्य की राजधानी नबद्वीप थी। यह शहर सेन सम्राज्य के गौरवशाली अतीत के अवशेषों को संजोए हुए है।
यह शहर अपने मंदिरों और शिक्षा केंद्रों के लिए प्रसिद्ध है, जहां कोई भी व्यक्ति जीवन और मानवता के विभिन्न पहलुओं और दर्शन के बारे में जान सकता है। 'तर्कशास्त्र', नव्य न्याय प्रणाली पर आधारित तर्क शास्त्र के पहले भारतीय स्कूल की स्थापना यहां की गई थी। 15वीं शताब्दी के कुछ प्रसिद्ध तर्कशास्त्रियों ने भी यहां अध्ययन किया था। वैष्णव, शाक्त, बुद्ध और शैव धर्म यहां पनपे थे। नबद्वीप का मुख्य त्योहार है, रास उत्सव या रासलीला, जिसे पाट पूर्णिमा, रास काली पूजा या शाक्त रास सहित कई अन्य नामों से भी जाना जाता है।

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