टाउन हॉल संग्रहालय

शहर के सबसे प्रमुख संग्रहालयों में से एक, टाउन हॉल एक भव्य इमारत है जिसमें विभिन्न प्रकार के अवशेष और विभिन्न काल की अन्य दिलचस्प चीजें देखने को मिलती हैं। टाउन हॉल में जैसे ही आप प्रवेश करते हैं, अठारहवीं शताब्दी की दो तोपें आपका स्वागत करती प्रतीत होती हैं। इन्हें महालक्ष्मी मंदिर से यहां लाए गए मध्यकालीन हाथी की मूर्तियों की एक जोड़ी के पीछे रखा गया है। इसके अलावा यहां पाषाण युग की कुल्हाडियों व बंदूकों के विभिन्न  संग्रहों को देखा जा सकता है जिनका इस्तेमाल प्रथम विश्व युद्ध में किया गया था। चीनी मिट्टी के बरतन, सजावटी फूलदान, 1888 के टेराकोटा के संगीत वाद्ययंत्र और प्रसिद्ध चित्रकार, कला महर्षि बाबूराव के चित्र भी यहां देखे जा सकते हैं। संग्रहालय के कुछ अन्य मुख्य आकर्षण में यूनानी देवता पोसाइडन की मूर्तियां, मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े, मोती, सिक्के, एक हाथी पर हेलेनिस्टिक युग की आकृतियों और सवार के साथ एक पदक भी है।

संग्रहालय में एक नव-गोथिक इमारत है जिसे 1876 में बनाया गया था। यह 8 एकड़ के क्षेत्र में फैले हरे-भरे सुव्यवस्थित उद्यानों से घिरी हुई है। आपको यहां कुछ विदेशी झाड़ियां, पेड़ और अन्य पौधे भी देखने को मिलेंगे। 

टाउन हॉल संग्रहालय

सिद्धगिरी संग्रहालय

अद्वितीय सिद्धगिरी संग्रहालय एक सदी पहले के गांवों के आत्मनिर्भर जीवन की एक झलक प्रदान करता है। सात एकड़ में फैले इस संग्रहालय में ग्राम के जीवन के लगभग 80 दृश्य और साथ ही प्राकृतिक वातावरण में मनुष्यों और घरेलू जानवरों की 300 आदमकद मूर्तियाँ हैं।

सिद्धगिरी संग्रहालय

कोल्हापुरी आभूषण

कोल्हापुर शहर, कोल्हापुरी साज़ (हार) के लिए विख्यात है। यह एक विशेष प्रकार का हार है जो यहां पहना जाता है। यह अपने बारीक डिजाइन, अनूठी शैली और शाही भव्यता के कारण, पूरे देश में महिलाओं द्वारा पसंद किया जाता है। इससे पहले, साज में विभिन्न डिज़ाइन के पेंडेंट की 21 पत्तियां होती थीं। माना जाता है कि इसे लगभग 60 साल पहले बनाया गया था। इस हार को बनाने के लिए अपार धैर्य और कौशल की आवश्यकता होती है। कोल्हापुर में बने अधिकांश आभूषण पेशवा और मराठों की विरासत से आए हैं। कुछ अन्य लोकप्रिय आभूषण जो शहर में आप खरीद सकती हैं, वे हैं,  चोकर, बोरमल, मोहनमल, हार और मालाएं, चपलाहार, पुलीहार और पोहेहार, इसके साथ ही तुशी, जो एक चोकर है, और बारीकी से गुंथे सोने के मोतियों से बना होता है। पर्यटक पाटला, चौड़ी चूड़ियों आदि भी यहां से खरीद सकते हैं। इसके अलावा, तोड़े, बारीक नक्काशीदार मोटी चूड़ियां. बंगदया, चूड़ियों के दो सेट; चिनचपेटी, जो एक चोकर है, नथ, तन्मानी, जो एक छोटा हार होता है, भी खरीद सकते हैं। फूल के आकार के झुमके के साथ बाजूबंद भी काफी लोकप्रिय है।

कोल्हापुरी आभूषण

खरीदारी कोल्हापुरी चप्पल

बेहद फैशनेबल फुटवियर, कोल्हापुरी चप्पल पूरे देश में अपने हलके वजन और एक पतले तले के लिए प्रसिद्ध हैं। वे विभिन्न प्रकार के रंगों और डिजाइनों में बने होती हैं और पारंपरिक व भारतीय-पशिचमी दोनों तरह की पोशाक पर फबती हैं। कोल्हापुरी चप्पल अच्छी गुणवत्ता वाले चमड़े से बनाई जाती हैं और पारंपरिक रूप से भूरे रंग की होती हैं। बारीक धागों की कढ़ाई वाले डिजाइन से बनी इन चप्पलों के लकड़ी के फ्लैप के बीच में लाल लटकन गोली लगी होती है। आज, इस पारंपरिक डिजाइन को और बेहतर बनाने के लिए, बैंगनी, नारंगी, सुनहरी, लाल, हरा और गुलाबी रंगों का प्रयोग किया जा रहा है। धागे से कढ़ाई करने के बजाय, फ्लैप में मोती, सितारे, या पोत भी लगे होते हैं। इन चप्पलों रोज तो पहना ही जा सकता है, साथ ही पार्टियों में भी पहना जा सकता है।

ऐसा कहा जाता है कि कोल्हापुरी चप्पल की उत्पत्ति 13 वीं शताब्दी में महाराष्ट्र के गांवों में हुई थी। शाही परिवार ने उनके अद्वितीय डिजाइनों की खोज की और उनके संरक्षण में, चप्पलें अधिक सुंदर ढंग से बनने लगीं और लोकप्रिय हो गईं। 

खरीदारी कोल्हापुरी चप्पल

इरविन कृषि संग्रहालय

कृषि से संबंधित उपकरणों का एक विस्तृत और एक अनूठा संग्रह देखने के लिए, इरविन कृषि संग्रहालय अवश्य जाएं। आंध्र प्रदेश के सिक्के और कांस्य की कलाकृतियों के उत्कृष्ट संग्रह को अवश्य देखें।  आप छत्रपति शिवाजी द्वारा उपयोग किए गए कपड़ों, हथियारों और बर्तनों की प्रदर्शनी भी देख सकते हैं। इसके अलावा, संग्रहालय में शिवाजी द्वारा शिकार किए गए जानवरों की मूर्तियां हैं।

इरविन कृषि संग्रहालय