सरयू नदी, गोमती नदी और गुप्त रूप से बहती भागीरथी नदी के संगम पर बसा बागेश्वर मूलतः एक ठेठ पहाड़ी कस्बा है। यह जगह शिव की नगरी के रूप में प्रसिद्ध है, जो कष्टहर्ता हैं। यहां भगवान शिव का एक बेहद प्रसिद्ध बागनाथ मंदिर कहते हैं, जहां पर्यटक एक सीधे रास्ते पर चलते हुए आसानी से पहुंच सकते हैं। नागर शैली में निर्मित भोले शंकर के इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में करवाया गया था। मंदिर में लगी पीतल की अनगिनत छोटी-बड़ी घंटियां पर्यटकों का ध्यानाकर्षित करती हैं। यहीं पर मां काली को समर्पित चंडिका देवी मंदिर भी है तथा गरुड़ बैजनाथ का भी एक मंदिर है। गरुड़ बैजनाथ का यह मंदिर वास्तुकला के मामले में बहुत हद तक जागेश्वर मंदिर से मिलता-जुलता है। बागेश्वर का जिक्र प्राचीन हिन्दु पुस्तकों और पुराणों में एक ऐसे स्थान के रूप में मिलता है, जहां आकर इंसान जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पा लेता है।

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