भगवान शिव को समर्पित सोमनाथ मंदिर की गिनती हिन्दुओं के सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण मंदिरों में की जाती है। देश भर में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम स्थान पर पूजे जाने वाले सोमनाथ मंदिर के दर्शनों के लिए हर साल बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। अरब सागर से घिरा यह मंदिर सौराष्ट्र प्रायद्वीप का बहुत ही शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। पचास मीटर ऊंचे विचित्र शिखर वाला यह मंदिर चालुक्य शैली की अद्भुत वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। चांदी के दरवाजे, सुंदर नक्काशी, शिवलिंग और नंदी की एक मूर्ति इस मंदिर की शोभा को और निखारते हैं। मंदिर के विशाल परिसर में एक बड़ा मंडप और मुख्य गर्भग्रह है। दर्शनों के पश्चात श्रद्धालु पिछले दरवाजे से बाहर निकल कर समुद्र की लहरों पर पड़ती सूरज की रोशनी से उत्पन्न अनोखा दृश्य देख सकते हैं।जूनागढ़ से 94 किलोमीटर की दूरी पर स्थिर सोमनाथ मंदिर के बारे में कहा जाता है कि असल में इसे चंद्रमा ने सोने से निर्मित करवाया था। बाद में इसे धरती पर लाया गया जहां लंका नरेश रावण ने इसे चांदी से पुनः बनवाया। इसके बाद भगवान कृष्ण ने लकड़ी से इसका पुनर्निमाण करवाया और पांडव भाइयों में से एक भीम ने इसे पत्थरों से बनवाया। प्रत्येक वर्ष नवंबर के महीने में यहां भव्य कार्तिक पूर्णिमा उत्सव का आयोजन किया जाता है जिस अवसर पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं।

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