इस गांव को खमयांग समुदाय के गढ़ के रूप में जाना जाता है। बौद्ध धर्म को मानने वाले गांव बलिजन श्याम गांव, बेतबारी श्याम गांव और ना श्याम गांव पर्यटकों को खासे आकर्षित करते हैं। क्योंकि इन गावों में असम की सभ्यता और संस्कृति के अनछुए पहलू देखने को मिलते हैं। यहां करीब 100 परिवार रहते हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि इनके पूर्वज 13वीं शताब्दी में थाईलैंड से असम में आकर बस गये थे। इन गांवों में घूमने के दौरान सैलानियों को खमयांग निवासियों के जीवन को करीब से देखने और जानने का मौका मिलता है। जोरहाट से करीब 30 किमी दूर इन तीनों गांवों में म्यान्मार, जापान और थाईलैंड से बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म शोधकर्ता आते हैं। इन गांवों में बहुत से बौद्ध मठ भी हैं, जिन्हें विहार कहा जाता है। इन मठों में बौद्ध भिक्षु, छात्रों को ताई और पाली जैसी धार्मिक पुस्तकों द्वारा ज्ञान प्रदान करते हैं। इसके अलावा यहां आने वाले पर्यटक बौद्ध धर्म अनुयायियों के पवित्र तीर्थ स्थान बलिजन देखने जा सकते हैं। 

अन्य आकर्षण