यह जगह प्रसिद्ध है एक बेहद खूबसूरत और रोचक मानव निर्मित जंगल के लिए, जो भारतीय गैंडे, बंगाल टाइगर, खरगोश, हिरणों, हाथियों और पक्षियों की अनेकों प्रजातियों का प्राकृतिक आवास भी है। यहां सैलानी जंगल सफारी का लुत्फ बड़े मजे से उठाते हैं। पर्यटकों में इस बात को लेकर उत्सुकता लाजिमी है कि आखिर कोई इंसान खुद कैसे जंगल बना सकता है? वास्तव में यही बात लोगों को यहां खींचकर लाती है। दरअसल, इस जंगल के निर्माण की कहानी भी बहुत दिलचस्प है। यह जंगल प्रसिद्ध पर्यावरणविद् जादव मोलाई पयंग की बेहद कठिन मेहनत और परिश्रम का नतीजा है, जिन्होंने निरंतर 30 वर्षों तक 1360 एकड़ के विशाल इलाके में वृक्षारोपण किया और तब जाकर यह अदभुत और विस्मयकारी जंगल तैयार हुआ। कई दशकों पहले मोलाई में अंधाधुंध पेड़ों की कटाई के बाद इस जंगल का निर्माण, वास्तव में प्रकृति के साथ किए गये अत्याचार को न्याय में बदलने जैसा है। और यही वजह है कि आज यह जंगल असम में पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता दिखता भी है। 

बताया जाता है कि वृक्षारोपण का काम सबसे पहले ब्रह्मपुत्र नदीं के किनारों पर शुरू हुआ था, जो बाद में फैलते-फैलते एक विशाल जंगल में तब्दील हो गया और देखते ही देखते अनेकों वन्य जीवों का प्राकृतिक आवास भी बन गया है। प्रकृति को बेहद करीब से दिखाता यह जंगल कुछ अन्य प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों का द्वार भी है। जैसे यहां से होकर आप काकोचांग झरना, हूलोंगापार गिबन अभयारण्य, सुकफा समन्नय क्षेत्र और टोकलाई चाय अनुसंधान केन्द्र तक पहुंच सकते हैं। फोटोग्राफरों के लिए तो यह जगह किसी खजाने से कम नहीं है। और आत्मिक शांति की खोज में निकले लोग यहां के अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और लुभावने झरनों के बीच अपने सारे तनाव को भूलकर बस यहीं के हो जाते हैं। 

अन्य आकर्षण