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नागालैंड का खूबसूरत शहर मोन, जोरहाट से करीब 144 किमी दूर है। मछली पकड़ने के शौकीनों और ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए यह एक रोमांच से भरपूर जगह है। कोनयाक नगाओं की धरती के नाम से जाना जाने वाला मोन, प्रकृति प्रेमियों और रोमांच में रुचि रखने वाले सैलानियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहां पारंपरिक शैली में बनी इमारतें एकदम से ध्यानाकर्षित करती हैं, साथ प्राचीन मूर्तियां कोनयक इतिहास और सभ्यता की कहानी बयां करती हैं। मोन पर्वत की सबसे ऊंची चोटी वेदापीक से ब्रह्मपुत्र नदी और म्यान्मार की छिन्दविन नदी का भव्य नजारा यहां सैलानियों को खासा आकर्षित करता है। यहां बसा लोंगवा गांव, म्यांनमार तक जाने का सबसे नजदीकी पड़ाव है। क्योंकि भारत-म्यांनमार सीमा इसी गांव से होकर गुजरती है। यहां स्थित शांगन्यु और छई नामक दो गांवों को जातीय गांव घोषित किया गया है, जो मनुष्य जाति विज्ञान शोधकर्ताओं को अनुसंधान के कई अवसर प्रदान करते हैं।