जोरहाट से करीब 140 किमी दूर है अनूठा शहर डिब्रूगढ़, जो भारत में चाय के बागानों के गढ़ के रूप में भी जाना जाता है। अपने अद्भुत तरह से प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध यह शहर धीरे-धीरे असम के प्रमुख पर्यटन स्थलों के बीच अपनी जगह बनाता जा रहा है। जब यहां आप ब्रिटिश काल की याद दिलाते चाय के हरे भरे बागानों के बीच से होकर गुजरते हैं तो एक ऐसा अनुभव अपने साथ समेत लाते हैं, जो भुलाए नहीं भूलता। यहां जोकाई बोटोनिकल गार्डन नामक एक बेहद खूबसूरत गार्डन है, जो दुर्लभ और विलुप्त हो चुकी वनस्पतियों की प्रजातियों को जीवंत रखने का काम करता है। इसलिए इसे जर्मप्लाजम सेंटर भी कहा जाता है। प्रकृति प्रेमियों को यहां घूमने के लिए जरूर आना चाहिये। 

इतना ही नहीं धर्म में आस्था रखने वाले पर्यटकों के लिए जालन नगर में एक बेहद खूबसूरत एक राधाकृष्ण मंदिर भी है, जो पूरी तरह से सफेद रंग में रंगा है। लेकिन यहां का सबसे प्रसिद्ध मंदिर, शहर में स्थित जगन्नाथ मंदिर है, जो ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ के प्रसिद्ध मंदिर की तरह हू-ब-हू बनाया गया है। प्रकृति और वन्य जीवन को और करीब से देखने की चाह रखने वाले सैलानी डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान की ओर भी रुख कर सकते हैं, जो विश्व के 19 जैव विविधता उद्यानों में से एक है। इसकी पार्क की स्थापना अति दुर्लभ माने जाने वाले सफेद पंखों वाली वुड डक की प्रजाति को संरक्षण देने के लिए की गयी थी और इस उद्यान में कुछ अन्य दुर्लभ जीव जैसे- केप्ड लंगूर और पानी में रहने वाली भैंसे भी देखे जा सकते हैं। 

अन्य आकर्षण