वीर सेनानी लाचित बोड़फुकन के सम्मान में बनवाया गया यह स्थल शहर के कुछ प्रमुख आकर्षणों में से एक है। लाचित बोड़फुकन,  अहोम साम्राज्य के वीर सेनापति थे, जो अपने अद्भुत सैन्य गुरों के लिए प्रसिद्ध थे। मुगलों से गोवाहाटी को वापस जीतने के लिए सराईघाट की लड़ाई में उन्होंने अदम्य साहस का परिचय दिया था। उनकी मृत्यु के बाद इस स्थान का निर्माण अहोम शासक, र्स्वगदेव उदयदित्य सिंघा ने सन 1672 में करवाया था। 

यह स्मारक जोरहाट के निवासियों के लिए एक बेहद गौरवमयी स्थल है, जहां एक संग्रहालय भी स्थापित है। संग्रहालय में लाचित बोड़फुकन से जुड़ी कुछ मूल्यवान कलाकृतियां सुरक्षित रखी गयी हैं तथा एक स्लाइड शो के जरिये उनकी जीवनशैली और इतिहास पर भी प्रकाश डाला जाता है। यहां से प्रसिद्ध हूलोंगापार गिबन अभयारण्य मात्र 8 किमी की दूरी पर स्थित है, जहां दुर्लभ हूलोक गिबन प्रजाति के वनमानुष भी देखे जा सकते हैं। 

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