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जोधपुर का एक प्रसिद्ध स्थलए मेहरानगढ़ किला शहर के सबसे बड़े किलों में से एक है। जोधपुर के मनोरम दृश्य के लिए आदर्श स्थलए आप पहाड़ी की तली में नीले सागर की तरह फैले हुए शहर को देखने के लिए ऊपर से ट्रेक कर सकते हैं। यह किला एक भव्य चबूतरे के रूप में जाना जाता हैए जिसकी जालीदार खिड़कियांए नक्काशीदार पैनलए सघन रूप से सजी हुई खिड़कियां और मोती महलए फूल महल और शीश महल की दीवारें किले के विशाल परिसर के भीतर खूबसूरती को समाये हुए हैं।
शृंगार चौक के दक्षिणी ओर हाथी हावड़ा गैलरी के बगल में आप जोधपुर के राजाओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली हाथी की सीटों को देख सकते हैं। इनमें से सबसे खास महाराजा जसवंत सिंह प्रथम य1629ण्1678द्ध को मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा सम्मान के प्रतीक के रूप में पेश किया जाने वाला चांदी का हौदा है। फिर आप शाही महिलाओं के परिवहन के साधनों की प्रदर्शनी पालकी गैलरी देख सकते हैंय दौलत खानाए शाब्दिक रूप से धन की दुकान के रूप में अनुवादित इस स्थान पर शाही खजाना रखा जाता थाय पेंटिंग गैलरीए यहां मारवाड़ सम्प्रदाय के लघु चित्रों के अद्भुत संग्रह प्रदर्शित हैंय क्लॉथ गैलरीए जहाँ आलीशान कालीनए समृद्ध ब्रोकेड और जोधपुर के राजघरानों की भारी मखमल संरक्षित की गई हैंय सिलेह खानाए जो शाही शस्त्रागार थाय और गलियारे यहां लकड़ी के उत्कृष्ट शिल्पए पालने और राजसी परिवारों की पगड़ी देखी जा सकती है।किले तक पहुँचने के लिए सात द्वारों को पार करना पड़ता था। द्वारों पर अतीत में लड़ी गई लड़ाइयों के निशान अब भी मौजूद हैं। सात द्वारों में से एक का नाम जय पोल रखा गया हैए जिसका अर्थ है विजय। इसे जयपुर के शासक महाराजा मान सिंह द्वारा जयपुर और बीकानेर सेनाओं पर उनकी जीत के स्मरण के प्रतीक के रूप का निर्माण था। फतेह पोल का निर्माण मुगलों की हार का जश्न मनाने के लिए मारवाड़ के शासक महाराजा अजीत सिंह य1861ण्1901द्ध ने करवाया था।किले पर किया गया कार्य इतना प्रभावशाली है कि प्रसिद्ध लेखकए द जंगल बुक के रूडयार्ड किपलिंग ने इसे ष्द वर्क ऑफ़ जायंटसष् के रूप में संदर्भित किया था!