मखनिया लस्सी

जोधपुर की यात्रा के समय गाढ़ी मखनिया लस्सी आपकी विशेष पसंद हो सकती है। मीठी लस्सी को मलाई, सफ़ेद मक्खन और कसे हुए सूखे मेवे डालकर बनाया जाता है।
सबसे पहले, केसर को गर्म दूध में भिगोया जाता है; फिर, दही, चीनी और इलायची को एक साथ मिलकर उसमें केसर डाल दिया जाता है। इस पेय को लंबे गिलास में डालकर क्रीम, नट्स और सफ़ेद मक्खन को उसके ऊपर डाला जाता है। यह ठंडा और स्वादिष्ट पेय रेगिस्तान राज्य में आपकी यात्रा के दौरान आपको ताजगी प्रदान करेगा।

मखनिया लस्सी

मिर्ची बडा

मिर्ची बड़ा जोधपुर का लोकप्रिय स्ट्रीट फूड है। इसे मोटी और कम तीखी हरी मिर्च के साथ मसालेदार-टेंगी आलू भरा जाता है, और बेसन के घोल में डुबोकर उसे सुनहरा और कुरकुरा होने तक डीप फ्राई किया जाता है। यह धनिया या टमाटर की खट्टी चटनी के साथ बहुत ही स्वादिष्ट लगती है, आप इसे दूसरे स्ट्रीट फूड, मावा कचोरी के साथ भी खा सकते हैं। बारिश के मौसम के दौरान, जब तापमान में गिरावट आती है और शहर में ठंडी हवा चलती है, तो एक गर्म कप चाय के साथ गर्मागर्म मिर्ची बडा बेजोड़ है, यहाँ आप स्थानीय लोगों को स्टॉलों और दुकानों पर इसे बेचते हुए देख सकते हैं। अब देश के अन्य हिस्सों में इसे पसंद किया जाने लगा है, इसे दक्षिण भारत में मनासिंयाकी (मिर्च) बाजी, और उत्तर भारत में मिर्च पकोड़ा के रूप में जाना जाता है।

मिर्ची बडा

केर सांगरी

केर सांगरी एक पारंपरिक राजस्थानी व्यंजन है जिसे सूखे केरी बेर और सांगरी बीन्स के साथ बनाया जाता है, और शाकाहारियों के बीच बेहद लोकप्रिय है। केर राजस्थान के अधिक शुष्क इलाकों की विशिष्ट रेगिस्तानी वनस्पति है। इसे अकाल की एक लंबी अवधि के दौरान खोजा गया था - जब हर दूसरी सब्जी समाप्त हो गई थी, ये लंबी फलियां और जामुन बहुतायत में ऊगने लगे, जिससे ग्रामीणों को अकाल से बचे रहने का तरीका मिला, साथ ही एक ऐसे व्यंजन का आविष्कार हुआ जिसे आज हर मारवाड़ी शादी में परोसा जाता है। इसका स्वाद तीखा होता है और बाजरे की रोटी के साथ बहुत ही स्वादिष्ट लगता है।

कच्चा केर बहुत खट्टा होता है, इसलिए इसे नमक के पानी में भिगोया जाता है, पकाया जाने से पहले धूप में सुखाया जाता है। सांगरी की फलियों को कच्चा ही तोड़कर उबाला जाता है और फिर धूप में सुखाया जाता है। उन्हें एक वर्ष तक संरक्षित किया जा सकता है।

केर सांगरी

प्याज की कचौरी

प्याज-की-कचौरी दिलकश स्नैक है जिसे प्याज, आलू और सूखे मेवे, लाल मिर्च पाउडर, हरी मिर्च और भारतीय मसालों के साथ मिलाकर बनाया जाता है। फिर मिश्रण को सुनहरा होने तक डीप फ्राई किया जाता है, और गर्मागर्म खाया जाता है। यह कचौरी मुंह में स्वाद भर देती है और आमतौर पर जोधपुर के कई घरों में रविवार का विशेष नाश्ता है। खाने में हल्की लेकिन स्वाद से भरपूर, प्याज-की-कचौरी आपकी भूख बढ़ा सकती है। इसे पुदीना या इमली की चटनी के साथ परोसा जाता है, और कभी-कभी इसे आलू जीरा या आलू मेथी के साथ परोसा जाता है। प्याज-की-कचौरी के साथ चाय का आनंद अवश्य लें।

प्याज की कचौरी