राजस्थान की बांधनी और बंधेज के कपड़ों और साड़ियों को देख भर में पसंद किया जाता है।  जोधपुर में टाई और डाई को विभिन्न रंगों में सजाते हुए बनाया जाता हैए आप यहाँ कई तरह के डिज़ाइन खरीद सकते हैं। आप यहाँ बांधनी के काम के कुर्तेए चनिया चोलीए और बैग खरीद सकते हैं।संस्कृत शब्द ष्बांधष् से उत्पन्न इसका अर्थ है बाँधनाए बांधनी की कला में कपड़े को विभिन्न स्थानों कसकर बांधनाए और फिर उसे विभिन्न रंगों में रंगना शामिल होता हैए इस प्रकार कपड़े के आधार पर अनोखे और दिलचस्प पैटर्न बन जाते हैं। कपड़े को खुली हवा में सुखाया जाता हैए जिससे कपड़े पर डाई के रंग पूरी तरह से सूखकर पक्के हो जाते हैं।
बांधनी के कपड़ों को ज्यादातर पीलेए लालए नीलेए हरे और काले जैसे छपाई के ब्लॉक रंगों का उपयोग करके बनाए जाते हैं। आप लेहरियाए मोथराए एकदाली और शिकरी पैटर्न के कपड़ों की शैलियां देख सकते हैं। जब कपड़ा सूख जाता हैए तो उसमें लहरेंए डॉट्सए स्ट्रिप्स और स्क्वायर बुने जाते हैं। यह इकदली ;सिंगल गांठद्धए त्रिकुटी ;टीन गांठेंद्धए चौबंदी ;चार गांठेंद्धए डूंगर शाही ;माउंटेनद्धए बूंद ;छोटी बिंदीद्धए कोड़ी ;टीयरड्रॉपद्ध और लड्डू जलेबी ;इंडियन स्वीटमीटद्ध जैसी डिजाइनों में उपलब्ध है।
ऐतिहासिक रूप सेए बंधेज की प्रथा 5ए000 साल पुरानी हैए और साहित्यिक साक्ष्य से पता चलता है कि इसे एक शाही शादी में बाना भट्ट के हर्षचरित के समय में इस्तेमाल किया गया था। इसके कुछ प्रारंभिक डिज़ाइन अजंता की गुफाओं में भी देखे गए हैं।

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