ऊधमपुर में स्थित रामनगर का नाम यहाँ के अन्तिम शासक राम सिंह के नाम पर पड़ा। यहाँ एक ऐतिहासिक किला है जिसका निर्माण मनसा देवी नाला के तट पर चरियारी सोवर (1801-1844) के सेनानायक राजा सुचेत सिंह द्वारा कराया गया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) ने 1972 में इसे संरक्षित स्मारक का दर्जा दिया। यहाँ एक अन्य शाही भवन शीश महल है जिसका निर्माण 1885 में कश्मीर के सूबेदार राजा राम सिंह द्वारा कराया गया था। इस स्मारक पर शीशे का कार्य लोगों को चकित कर देता है। इसके अतिरिक्त इसके भित्तिचित्र तथा कलाकृतियाँ महाभारत और रामायण जैसे भारतीय आख्यानों को दर्शाती हैं।यहाँ एक वन्यजीव अभयारण्य भी है जिसका विस्तार लगभग 31 वर्ग किमी में है। नीलगाय, कांकड़, जंगली सुअर, रीसस बन्दरों आदि जैसे जन्तुओं के आश्रय स्थल सहित यह भारतीय मैना, नीले कबूतरों, मोर, लाल जंगली मुर्गों, जंगली कौओं, गोल्डन ओरियल, सफेद मुँह वाली बुलबुलों और पक्षियों की अन्य 15 प्रजातियों का भी शरणस्थल है। 

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