सभी धर्मों के मानने वाले लोगों द्वारा दर्शनीय शाहदरा शरीफ का निर्माण बाबा गुलाम शाह को श्रद्धांजलि देने के लिए 19वीं शताब्दी में महाराजा गुलाब सिंह द्वारा बनवाया गया था। माना जाता है कि सैदियाँ (अब पाकिस्तान के रावलपिण्डी में) में जन्मे पीर गुलाम शाह ने जीवन व्यतीत करने के लिए शाहदरा को अपना आवास बनाया। कहा जाता है कि 1829 ई. में पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए अपने सेनानायक गुलाब सिंह को भेजा। किन्तु सेनापति के अनेक सैनिक मारे गये और जब वह थाना-मण्डी में अपने खेमे में विश्राम के लिए रुके तो उन्हें बाबा गुलाम शाह के विषय में जानकारी मिली और वे उनसे मिलने के लिए गये। जब बाबा ने उन्हें देखा तो वे मुस्कराये। कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि वह गुलाब सिंह के उज्ज्वल भविष्य को देखकर मुस्करा रहे हैं। इसके बाद बाबा ने उनसे एक पर्वत की चोटी पर चढ़कर आसपास देखने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि वे अपनी आँखों से जितनी दूर तक देख सकते हैं वह क्षेत्र एक दिन उनके राज्य का अंग बनेगा। सेनापति ने जम्मू, कश्मीर, तिब्बत और किश्तवाड़ की ओर देखा और श्रद्धावश उन्होंने बाबा से कुछ भूमि ग्रहण करने का आग्रह किया जिस पर बाबा ने जम्मू में शाहदरा शरीफ की भूमि माँगी। बाद में गुलाब सिंह जम्मू-कश्मीर के राजा बने और बाबा के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रदर्शित करने वहाँ गये। किन्तु बाबा अपना स्थान छोड़ चुके थे और गुलाब सिंह ने उस स्थान पर उनकी दरगाह बनवाई। यह दरगाह जम्मू से 177 किमी दूर है।

अन्य आकर्षण