अपने चमत्कृत कर देने वाले समुद्री तटों, पौराणिक मंदिरों और तरह-तरह के रोमांचकारी खेलों के लिए उपयुक्त अवसर उपलब्ध कराने वाला गोकर्ण कर्नाटक का ऐसा शहर है जिसे कई रूपों में जाना-पहचाना जाता है। प्राचीन काल से ही इस स्थान का मुख्य आकर्षण यहाँ के मंदिर रहे हैं, जहाँ हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं (भक्तों) का आगमन होता है। इसे ‘ब्राह्मण नगरी’ के नाम से जाना जाता रहा है और न केवल यहाँ की पहाड़ियों और घाटियों के बल्कि अनेक समुद्री तटों के भी नाम देवताओं के नाम पर रखे गए हैं। यहाँ के एक समुद्री तट की आकृति ‘ओम’ (ऊँ) के आध्यात्मिक प्रतीक जैसी है, जबकि अनादि काल से ही दाम्पतिक सौहार्द को निरूपित करती एक साथ खड़ी दो चोटियाँ भगवान शिव और उनकी दैवी संगिनी देवी पार्वती के शाश्वत प्रेम का प्रतिनिधित्व करती हैं।

गोकर्ण का शाब्दिक अर्थ है, ‘गाय का कान’ जो संभवतः कान की-सी आकृति निर्मित करती दो नदियों के संगम क्षेत्र का वर्णन करती है। एक ओर पश्चिमी घाटों की पथरीली खड़ी चट्टानों और दूसरी ओर अरब सागर के नीले विस्तार से होकर गुजरता गोकर्ण का रास्ता अत्यंत नयनाभिराम है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि लोग बाग इन पहाड़ियों और समुद्री तटों को लेकर अपने अतींद्रिय (अलौकिक) अनुभवों का जिक्र करते हैं। गोकर्ण के अधिकाँश समुद्री तट हर ओर अरब सागर की लहराती नीलिमा और खड़ी चट्टानों से घिरे हैं, जिससे जहाँ तक नजर जाती है, सागर और आकाश का एक सुरम्य परिदृश्य दिखाई देता है। इन चट्टानों ने अधिकाँश समुद्री तटों को शहर से और एक-दूसरे समुद्री तटों से अलग-अलग कर रखा है, जिससे ऐसा अहसास होता है मानों किसी निजी अहाते में आ पहुँचे हों।

अपने विशिष्ट भूभाग की वजह से हाल के वर्षों में गोकर्ण ने तरह-तरह की रोमांचकारी गतिविधियों को आकृष्ट किया है। यहाँ जल से जुड़ी लोकप्रिय रोमांचकारी गतिविधियों में अन्य गतिविधियों के अलावा ये भी शुमार हैं, मसलन जेट स्कीइंग, बोटिंग, मछली पकड़ना, डाल्फिन देखना और बनाना बोट राइड्स। हाल के वर्षों में गोकर्ण एक ऐसा स्थान बन गया है, जहाँ कर्नाटक के चारों ओेर से युवाओ, रोमांचकारी और साहसिक पर्यटन के दीवानों की भीड़ उमड़ती है। अपने असामान्य समुद्री तटों से लेकर प्राचीन मंदिरों और जायकेदार स्थानीय खान-पान (भोजन) तक, गोकर्ण सचमुच एक ऐसा स्थल है जिसकी झोली में हर किसी के लिए कुछ न कुछ भरा है।

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