खाड़ी के मुहाने पर समुद्र के बीचोंबीच स्थित पानीकोट के किले को फोर्टिम-डो-मार के नाम से भी जाना जाता है। इस किले पर आना एक रोमांचक अनुभव है और इसे अपनी सूची में जरूर शामिल करें। इस किले का उपयोग किसी जमाने में जेल के रूप में किया जाता था। इस किले पर बोट के जरिये या फिर एक डोंगी के माध्‍यम जाया जा सकता है। इस किले की दुर्जेय चट्टनी संरचना का निर्माण मुस्लिम शासक मलिक अयाज़ के शासनकाल में किया गया था। पहले इसका प्रयोग उन व्‍यापारियों के जहाजों की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिये एक प्रवेश द्वार के रूप में होता था, जो दीव में महंगी एशियाई वस्‍तुओं के व्‍यापार के लिये आते थे, खासतौर से भारतीय मसालों के लिये। पर्यटकों को यहां आकर सदियों पुराने लाइटहाउस और छोटे से गिरजाघर को देखने से चूकना नहीं चाहिये, क्‍योंकि ये दोनों ही इस किले के परिसर के अंदर स्थित हैं। यह किला, दीव के किले के आंतरिक हिस्‍से में बना हुआ है। 

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