असाधारण विरासत कॉलोनी के रूप में अंद्रेटा आर्टिस्ट विलेज थिएटर, मिट्टी के बर्तनों और कला का एक केंद्र है। बर्फ से ढकी धौलाधार श्रेणी और शिवालिक के बांस के पेड़ों के जंगल से घिरे इस गांव में एक स्वप्निल सुंदरता व्याप्त है। इस असाधारण गांव के विकास का श्रेय एक युवा आयरिश महिला नोरा रिचर्ड्स को जाता है, जो आजादी पूर्व भारत में इस गांव आई थीं। उनकी शादी फिलिप रिचर्ड्स से हुई, जो लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज में प्रोफेसर थे। वह पहली बार वर्ष 1908 में भारत के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र लाहौर पहुंची थी और विख्यात दयाल सिंह कॉलेज की उप-प्राचार्य बनी। वह अपने पति की मृत्यु के बाद इंग्लैंड लौट गई। लेकिन इससे पहले वह शहर में पंजाबी थिएटर स्थापित करने में सफल हुई। वह वर्ष 1920 में अंद्रेटा आई और इस क्षेत्र में थिएटर को पुनर्जीवित करने के लिए अपनी यात्रा शुरू की। यहां उसने वुडलैंड एस्टेट बनाया, जो अब सभी प्रकृति के कलाकारों के लिए एक लोकप्रिय शरणस्थली है। यह गांव चित्रकार बी सी सान्याल और वर्ष 1940 के दशक के दौरान लाहौर विश्वविद्यालय के फिलिप रिचर्ड्स के शिष्य जय दयाल सिंह का घर बना। सान्याल ने नोरा सेंटर फॉर आर्ट्स और एक रिसोर्ट हेतु निधियों की उगाही करने के लिए पेंटिंग प्रदर्शनियों का आयोजन शुरू किया। प्रसिद्ध चित्रकार सोभा सिंह, जिन्हें सिख धार्मिक चित्र बनाने के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है, यहां रहने के लिए आए और वर्ष 1986 में अपनी मृत्युपर्यंत यहां रहे।यह गांव कई कलाकारों के लिए प्रेरणा और पुनर्रचना का स्रोत रहा है। इस इस्टेट का रखरखाव अब पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा किया जाता है। यह स्थान अब विभिन्न कलात्मक रूपों का केंद्र है और हर वर्ष 29 अक्टूबर को नोरा रिचर्ड्स की जयंती मनाने के क्रम में एक थिएटर फेस्टिवल का आयोजन यहां किया जाता है।

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