हज़रत निज़ामुद्दीन दरगाह दिल्ली के सबसे प्रमुख आध्यात्मिक स्थलों में से एक है। यह मुस्लिम सूफ़ी संत, निज़ाम-उद-दीन औलिया (1238-1325 ईस्वी) की दरगाह है। इसकी संरचना बेहद ही लाजवाब है, जिसमें जटिल जालियों और संगमरमर के मेहराबों से बना एक विशाल प्रांगण है। 14 वीं शताब्दी में बना यह दरगाह इस्लामी शैली की वास्तुकला में बनाया गया है। यह एक चौकोर आकार की इमारत है, जिसमें गुंबद आकार की एक छत है। यहां का एक और विशेष आकर्षण 13 वीं शताब्दी में बना एक कमरा है, जिसे हुजरा-ए-क़दीम कहा जाता है और यह दरगाह के दर्शन को और दिलचस्प बना देता है। इस दरगाह में लोग काफी दूर-दूर से आते हैं, और उन्हें इसकी जालियों पर लाल धागा बांधते हुए आप देखेंगे ताकि उनकी दुआ कबूल हो। दुआ करते समय, वे अगरबत्तियां जलाते हैं और गुलाब की पंखुड़ियों की बौछार करते हैं। दरगाह पर चादर चढ़ाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। दरगाह पर जाने का सबसे अच्छा समय गुरुवार का होता है जब यहां शाम को कव्वाली होती है। यह दरगाह इतना लोकप्रियता है कि यह अनेक फिल्मों की, जैसे 'बजरंगी भाईजान' (सन् 2015) और 'रॉकस्टार' (सन् 2011) की पृष्ठभूमि में रही है। यहां का वातावरण बेहद आकर्षक और रूहानी रहता है। दरगाह के परिसर में अमीर खुसरो की कब्र है जो वे उर्दू और फारसी के बड़े सूफी कवियों में से एक हैं। इसके अलावा, यहां शाहजहाँ की बेटी जहाँआरा बेगम की कब्र, रईस अतगाह खान की कब्र, जिनके बारे में कहा जाता है कि उनकी पत्नी ने मुगल सम्राट अकबर को दूध पिलाने वाली नर्स थी, और 18 वीं सदी के एक शासक, मुहम्मद शाह रंगीला की कब्र भी है।

अन्य आकर्षण