प्राचीन मंदिर, जीवंत कलाएं, प्राकृतिक अजूबे और अद्भुत पाक कला तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई को देश के दक्षिणी इलाकों में सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक बनाते हैं। कोरोमंडल तट पर स्थित इस व्यस्त महानगर को पहले मद्रास कहा जाता था। भरतनाट्यम के शानदार शास्त्रीय नृत्य के रूप से लेकर अपने प्रतिष्ठित व्यंजनों के समृद्ध स्वाद और भव्य मंदिरों और चर्चों तथा यहां से बेची जाने वाली रेशमी साड़ियों तक, चेन्नई दक्षिण भारतीय कला, संस्कृति और परंपराओं का प्रमुख स्थान है। इस शहर को आधार बना कर तमिलनाडु के अन्य स्थानों की यात्राएं भी हो सकती हैं।

यहाँ विरासती स्मारकों के साथ-साथ, प्राकृतिक और समकालीन सन्दर्भ व प्रतीक एक साथ पनपते हैं: जैसे प्राकृतिक और मनमोहक दृश्यों के साथ विस्तृत समुद्र तट, एक बंदरगाह, उम्दा कैफे, एक बहु-परिवहन प्रणाली, थीम पार्क, औद्योगिक केंद्र, उच्च तकनीक पार्क और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय। इसकी आबादी स्थानीय लोगों, प्रवासियों और शेष भारत के लोगों का एक घुला-मिला मिश्रण है। चेन्नई को "भारत के डेट्रायट" के रूप में व्यापक रूप से जाना जाता है। यह एक उपनाम है जो यहां और इसके आसपास स्थित ऑटोमोबाइल कारखानों की बड़ी संख्या के कारण इसे दिया गया है।

इस शहर के नाम की उत्पत्ति के बारे में कई कहानियां हैं। प्रारंभ में, नयकर शासन के दौरान इसका नाम मद्रास था जो मद्रासपट्टिनम से प्रेरित था। उस समय, यह एक मछली पकड़ने वालों का गाँव था जो आज के फोर्ट सेंट जॉर्ज के उत्तर में स्थित था। विजयनगर के राजा ने जमीन का वह टुकड़ा अंग्रेजों को बेच दिया, जिस पर अब फोर्ट सेंट जॉर्ज है, जिसमें तमिलनाडु सरकार का सचिवालय परिसर है। ब्रिटिश अधिकारियों ने मद्रासपट्टिनम नाम को बरकरार रखा था। स्थानीय आबादी के मध्य शहर को चन्नापट्टिनम कहना अधिक प्रचलित था। एक अन्य किंवदंती के अनुसार, नायक शासक दमल चेन्नप्पा नायक्कर के सम्मान में इस शहर का नाम चेन्नई रखा गया था। वर्ष 1996 में, सरकार ने इसका नाम बदलकर आधिकारिक तौर पर चेन्नई कर दिया और आज भी यह नाम खड़ा है।

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