भागसू नाग

मैकलॉड गंज के पास के प्रमुख आकर्षणों में से एक भागसू नाग मंदिर है जिसे 1905 में आए भूकंप के बाद यहां गोरखा राइफल्स द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था। स्थानीय किंवदंती के अनुसार 5,000 साल पहले  नागदेवता का पवित्र नाग डल झील से पानी चुराने वाले एक स्थानीय राजा, भागसू के साथ युद्ध हुआ था। राजा भागसू को पराजित करने के पश्चात नाग देवता द्वारा क्षमा कर दिया गया और इस स्थल को भागसू नाग के रूप में स्थापित किया गया। यह मंदिर भागसू और धरमकोट के आस-पास के गाँवों के स्वदेशी गोरखा लोगों के लिए तीर्थ यात्रा का स्थान है तथा डल झील के पास भागसू गाँव में स्थित है। मॉनसून के दौरान इस मंदिर से लगभग 10 मिनट की दूरी पर स्थित भागसू झरना, चट्टानों और वनस्पतियों के काले और हरे रंग की पृष्ठभूमि में अपनी प्रचंड धारा के साथ 25 फीट की चौड़ाई तक विस्तृत रमणीय दृश्य प्रस्तुत करता है। धर्मशाला के आसपास के सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में से एक, भागसू पर्यटकों और साहसिक व रोमांचप्रेमी लोगों को समान रूप से आकर्षित करता है, तथा इस क्षेत्र के आसपास के जंगलों में कई छोटी-छोटी रमणीय यात्राओं के अवसर उपलब्ध हैं। 

भागसू नाग

नामग्याल मठ

सबसे बड़े तिब्बती मंदिरों में से एक नामग्याल मठ, दलाई लामा के घर के रूप में प्रसिद्ध है। विस्तृत हरियाली और बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरे इस मठ का परिदृश्य बेहद सुन्दर है। इसमें एक तांत्रिक महाविद्यालय भी है जहाँ युवा भिक्षु बौद्ध धर्म के विभिन्न कर्मकांडों की परंपराओं को सीखते हैं और उनका अभ्यास करते हैं। यह मठ तिब्बती पारंपरिक बौद्ध अध्ययन और प्रथाओं के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से युवा तिब्बती भिक्षुओं के लिए काम कर रहा है। इस मठ की स्थापना परम पावन  दलाई लामा द्वितीय, गेदुन ग्यात्सो (1440-1480) ने की थी ताकि धार्मिक कार्यों को करने में उन्हें सहायता प्राप्त हो सके। इस मठ की शाखाएँ बोधगया, दिल्ली, कुशीनगर, शिमला और इथिका में हैं। आज इस मठ  में लगभग 200 भिक्षु हैं, जो सभी चार मुख्य तिब्बती मठों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन भिक्षुओं को मठ में रहने के दौरान पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा तथा मुफ्त आवास दिए जाते हैं। यह चंबा से लगभग 157 किमी दूर स्थित है। 

नामग्याल मठ

त्रिउंड

मैकलियोड गंज के धरमकोट क्षेत्र में स्थित एक लोकप्रिय हिल स्टेशन त्रिउंड उन विभिन्न यात्राओं के लिए शुरुआती बिंदु है जो त्रिउंड पहाड़ी तक की जाती हैं। इनमें से कुछ यात्राएँ प्रख्यात पर्वत धौलाधार पर स्थित इंद्रहर बिंदु की ओर ले जाती हैं। पर्वतारोहण के दौरान, पूरी धौलाधार श्रृंखला और विशाल, हरे-भरे घास के मैदान के दृश्य एक अद्भुत अनुभव प्रदान करते हैं, जो सप्ताहांत के लिए एक मध्यम से आसान पहाड़ी रास्ते की तलाश में लगे पर्यटकों को इसकी ओर आकर्षित करता है। यह यात्रा धरमकोट से शुरू होती है, कुल 18 किमी लम्बी है और एक सुव्यवस्थित पथ से होकर जाती है। यदि यह पर्वतारोहण का आपका पहला अनुभव है तो यहाँ एक गाइड को किराए पर लेने की सलाह दी जाती है यह रास्ता बुरांश और देवदार के घने जंगलों के बीच से गुज़रता है और उनकी सुंदरता के बावजूद थोड़ा भटकाने वाला हो सकता है। पूरी यात्रा को समाप्त में आपकी गति के आधार पर अधिकतम छह घंटे लगते हैं और इसके बीच में एक विशाल समतल क्षेत्र है जिसका उपयोग तम्बू को लगाने के लिए किया जा सकता है। 
त्रिउंड पहाड़ी की चोटी से इस क्षेत्र में व्याप्त शानदार धौलाधार श्रृंखला को देखा जा सकता है। यदि आप बर्फबारी की तलाश कर रहे हैं तो यहाँ की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा महीना जनवरी है, और मार्च-मई विस्तृत जंगल व पर्वत श्रृंखला के शानदार और स्पष्ट दीदार करने के लिए सर्वश्रेष्ठ हैं। यह चंबा से 160 किमी की दूरी पर स्थित है।

 त्रिउंड