देशनोक

देशनोक करणी माता के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है। चूहों के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में चूहों की पूजा की जाती है। यह भारत के सबसे आकर्षक मंदिरों में से एक है जो दुनिया भर से भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस मंदिर में लगभग 25,000 चूहे हैं जिन्हें काबा के नाम से जाना जाता है। इन चूहों को करणी माता के पुत्र स्वरूप माना जाता है और यह मान्यता है कि आपके पैरों से कोई सफेद काबा छू जाए तो यह अत्यधिक शुभ लक्षण है। ऐसा माना जाता है कि चरन कबीले के लगभग 600 परिवार करणी माता के वंशज हैं और उन्हें विश्वास है कि अगले जन्मों में उन्हें इन चूहों के रूप में पुनर्जन्म प्राप्त होगा। 

इस मंदिर से जुड़ी एक प्रचलित किंवदंती यह है कि जब करणी माता के सौतेले बेटे लक्ष्मण पानी पीने का प्रयास करते हुए कपिल सरोवर में डूब गए, तो करणी माता ने यमराज अर्थात मृत्यु के देवता से अपने पुत्र को पुनर्जीवित करने के लिए इतनी घोर प्रार्थना की कि उन्होंने केवल लक्ष्मण को ही जीवनदान नहीं दिया अपितु उनके साथ-साथ चूहों के रूप में करणी माता के अन्य सभी बेटों को भी पुनर्जन्म दिया। 

देशनोक

कोलायत

कोलायत राजस्थान के सबसे अधिक देखे जाने वाले धार्मिक स्थलों में से एक है जो पवित्र कोलायत झील के लिए प्रसिद्ध है। इस झील के पास यूँ तो कई मंदिर हैं लेकिन उनमें से सबसे प्रसिद्ध कपिल मुनि मंदिर है। किंवदंती है कि सांख्य योग के प्रणेता कपिल मुनि को कोलायत के शांतिपूर्ण ने अत्यधिक सम्मोहित किया था और उन्होंने यहाँ विश्व कल्याण के सुधार के लिए तपस्या की थी। इस जगह का उल्लेख हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ कपिलायतन में भी मिलता है। इस मंदिर में दर्शन करने के बाद पर्यटक यहाँ स्थित शांत झील के घाटों पर आराम कर सकते हैं और सुंदर सूर्यास्त का आनंद ले सकते हैं या बीकानेर के स्थानीय हस्तशिल्प की खरीदारी के लिए पास बने व्यस्त बाजार और दुकानों पर भी जा सकते हैं। यह शहर कार्तिक पूर्णिमा के दौरान वार्षिक कोलायत मेले के आयोजन के लिए भी प्रसिद्ध है, जिसमें देश के सभी हिस्सों से भक्तों और पर्यटकों की बड़ी संख्या आती है। इस मेले के दौरान सबसे अच्छा अनुभव शाम के कार्यक्रम दीप मलिका में उपस्थित होना होता है, जब भक्त अनुष्ठान स्वरुप रूप इस पवित्र झील में मिट्टी के जलते हुए दीपक प्रवाहित करते हैं। कोलायत बीकानेर से 50 किमी की दूरी पर स्थित है और निजी और सार्वजनिक परिवहन साधनों का उपयोग करके यहाँ आसानी से पहुंचा जा सकता है। 

कोलायत

करणी माता मंदिर

चूहों के मंदिर के रूप में प्रसिद्ध, करणी माता मंदिर में दूर-दूर से भक्त और पर्यटक आते हैं। यह अत्यधिक पूजनीय मंदिर देवी करणी माता को समर्पित है, जिन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है। इस मंदिर में लगभग 25,000 चूहे हैं जिन्हें काबा के नाम से जाना जाता है। यह चूहे करणी माता के पुत्रों के रूप में माने जाते हैं और यहाँ आपके पैरों से सफेद काबा का स्पर्श होना अत्यधिक शुभ माना जाता है। चरन कबीले के लगभग 600 परिवार करणी माता के वंशज होने का दावा करते हैं और मानते हैं कि उन्हें चूहों के रूप में पुनर्जन्म दिया जाएगा। करणी माता बीकानेर के शाही परिवार की कुल देवी भी हैं। वह 14वीं सदी में रहती थीं और उन्होंने कई चमत्कार किए। इस मंदिर से जुड़ी एक प्रचलित किंवदंती यह है कि जब करणी माता के सौतेले बेटे लक्ष्मण पानी पीने का प्रयास करते हुए कपिल सरोवर में डूब गए, तो करणी माता ने यमराज अर्थात मृत्यु के देवता से उन्हें वापस जीवन देने के लिए इतनी प्रार्थना की कि यमराज ने केवल उनके पुत्र लक्ष्मण को ही नहीं बल्कि उनके सभी बेटों को चूहों के रूप में पुनर्जन्म दिया। यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि ये चूहे आमतौर पर किसी भी प्रकार की बदबू नहीं फैलाते हैं जैसा कि चूहे आमतौर पर करते हैं, और वे कभी भी किसी बीमारी के फैलने का कारण भी नहीं रहे हैं। यहाँ चूहों द्वारा भोजन किया जाना वास्तव में शुभ माना जाता है। मंदिर के सामने एक सुंदर संगमरमर की संरचना है, जिसमें चांदी के ठोस दरवाजे लगे हैं। यह इमारत अपने वर्तमान रूप में 20वीं सदी की शुरुआत में बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह द्वारा पूरी की गई थी। मंदिर के परिसर से बाहर निकलने से पहले मुख्य द्वार के पास बने सिंह के कान में अपनी इच्छा व्यक्त करना न भूलें। पर्यटक वापस आते समय देशनोक से बीकानेर के रास्ते में हाल ही में बनाए गए करणी माता गलियारे में भी जा सकते हैं। इस संग्रहालय में सुंदर मूर्तियों, चित्रों और झांकियों के माध्यम से करणी माता की कहानियों को दर्शाया गया है। 

करणी माता मंदिर