सौंदत्ती को सौंदत्ती येल्लम्मा मंदिर के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है, जिसे सवदत्ती रेणुका येल्लम्मा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। येल्लमगुड्डा पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह प्रागैतिहासिक मंदिर देवी येल्लम्मा या रेणुका येल्लम्मा को समर्पित है। 1514 में बोम्मप्पा नायक द्वारा निर्मित यह मंदिर कर्नाटक के लोगों के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल है। सौंदत्ती को सुगंधावर्ती भी कहा जाता है और यह बेलगाम के पास स्थित सबसे पुराने शहरों में से एक है। 875 ईसवी से 1230 ईसवी तक यह शहर रत्ता वंश की राजधानी हुआ करता था। इस शहर का एक और महत्वपूर्ण आकर्षण है 18वीं शताब्दी का सवदत्ती का किला जिसमें आठ गढ़ हैं। इस किले में एक मंदिर भी है और यह 200 से भी अधिक रूपसज्जाओं से युक्त ज्यामितीय निरूपणों की सुंदर नक्काशी के लिए प्रख्यात है। पर्यटक यहाँ स्थित रेणुका सागर झील की ओर भी जा सकते हैं, जो मालाप्रभा नदी के जल को संग्रह करने हेतु नवीलातीर्थ बांध द्वारा निर्मित एक जलाशय है। अपने हरे-भरे परिवेश और पहाड़ियों से घिरी यह शांत झील सुरम्य वातावरण में घूमने के लिए पूर्णतः अनुकूल वातावरण प्रदान करती है। सौंदत्ती बेलगाम से 87 किमी की दूरी पर स्थित है।

अन्य आकर्षण