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यह मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब की पत्नी दिलरस बानू बेगम (जिन्हें बीबी के नाम से जाना जाता है) को दफनाने की जगह है। उन्हें राबिया-उद-दुर्रानी या आधुनिक काल की राबिया की उपाधि दी गई थी। ये उपाधि राबिया बसरा की ओर इशारा करती है, जो एक इराकी ऊंचे कुल की अमीर महिला थी, जिसे अपनी उदारता और दयालु स्वभाव के लिए जाना जाता था।शहर से लगभग 3 किमी दूरी पर स्थित, इस मकबरे को वर्ष 1678 में औरंगज़ेब के बेटे आज़म शाह ने बनवाया था। उनकी मां की याद में बनाया गया यह स्मारक लोकप्रिय ताजमहल के डिजाइन से मिलता-जुलता है, और इसीलिए इसे 'डेक्कन का ताज' के नाम से जाना जाता है। यह मकबरा दक्कन के कुछ भव्य मुग़ल स्मारकों में से एक है, क्यों कि औरंगज़ेब इस क्षेत्र में काफ़ी लंबे समय तक सूबेदार के रूप में रहा था। यह मकबरा विशाल मुगल उद्यानों से भरा है जिनमें कई सुंदर तालाब, फव्वारे, पानी के नहर, चौड़े मार्ग और अनेक मंडप मौजूद हैं। बीबी के मकबरा के बगीचे 'चार-बाग' शैली में डिज़ाइन किया गया है, जिसे ज्यादातर मुगल उद्यानों में अपनाया गया है। इन उद्यानों में चार हिस्सों वाला एक प्लॉट होता है जिसमें चार अलग-अलग ज्यामितीय बागों वाला एक बड़ा घेरा होता है। इस स्मारक में लगभग 72 फिट ऊंची चार मीनारें हैं, और इनकी उठी हुई चौखटें सफेद संगमरमर की एक जालीदार खिड़कियों से घिरी है। इनका मकबरा भी संगमरमर की एक जालीदार आठ कोनों वाली खिड़कियों से घिरा है। यहां कमल, गुलाब और कई अन्य फूलों की नक्काशी वाली संगमरमर की तख्तें और दीवारें हैं जो मकबरे की सुंदरता को और बढ़ाती हैं।इस स्मारक के मुख्य शिल्पकार उस्ताद-अता-उल्लाह थे, जो एक फारसी व्यक्ति थे। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसका उल्लेख फ्रांसीसी लेखक, जीन बैप्टिस्ट टेवर्नियर के लेखों में किया गया है, जो इसके निर्माण के शुरुआती चरणों के बारे में बहुत सारी जानकारी देते हैं। अभिलेखों के अनुसार, इस भव्य स्मारक के निर्माण की लागत लगभग 665,283 रुपये थी।