योग एक प्राचीन विज्ञान है। यह संभवतः 5000 वर्षों से भी अधिक पुरानी पद्धति हैए जिसका अभ्यास दुनिया भर में लोग करते हैं। योगाभ्यास में सांस लेने की तकनीकए शरीर के अंगों के क्रियाकलापों एवं ध्यान लगाने पर विशेष बल दिया जाता है ताकि तन.मन स्फूर्त रहें। व्यक्ति चिंतामुक्त रहे तथा वह शारीरिकए मानसिक एवं भावनात्मक रूप से स्वस्थ महसूस करे। भारतए जो योगाभ्यास का मुख्य केंद्र माना जाता हैए यहां पर अनेक कल्याणकारी रिज़ॉर्टए आश्रम एवं योग.ध्यान संस्थान उपलब्ध हैं। योग एवं ध्यान का प्रशिक्षण लेने के इच्छुक व्यक्ति को इन केंद्रों में एकांत और शांत वातावरण उपलब्ध कराया जाता है। ऐसे वातावरण में प्रशिक्षु को उत्कृष्ट अनुभव की प्राप्ति होती है। हम यहां पर कुछ बेहद लोकप्रिय योग संस्थानों की जानकारी दे रहे हैं।  

स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरू
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ;आईसीएमआरद्ध से मान्यता प्राप्तए स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान एक डीम्ड विश्वविद्यालय है जो स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं पर आधारित योग के अध्ययन के लिए समर्पित है। विश्वविद्यालय देश के सबसे प्रतिष्ठित योग प्रशिक्षण केंद्रों में से एक है और योग प्रशिक्षक पाठ्यक्रमए योग चिकित्सा में बीएससीए योग में एमडी और योग में पीएचडी जैसे कई पाठ्यक्रम संचालित करता है। यह एक अनोखे योग थेरेपी रिसर्चए हेल्थ होम से संचालित हैए जिसमें 250 रोगियों के उपचार की सुविधा हैए जिसे आरोग्य धाम कहा जाता है। इसका उद्देश्य आधुनिक असंक्रामक रोगों का इलाज और रोकथाम करए स्वास्थ्य को बढ़ावा देना और दीर्घकालिक पुनर्वास सुनिश्चित करना है। संगठन योग को सामाजिक रूप से प्रासंगिक विज्ञान बनाने की दिशा में काम कर रहा है और योग के प्राचीन भारतीय पद्धति के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है।

बिहार स्कूल ऑफ़ योगा, मुंगेर
स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने इस संस्थान की स्थापना वर्ष 1964 में की थी। बिहार स्कूल ऑफ़ योगा हमारे देश में इस प्राचीन दर्शनशास्त्र का ज्ञान प्रदान करने वाले पुराने एवं प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक है। यह योग संस्थान बिहार की राजधानी पटना से 175 किलोमीटर दूर प्राचीन शहर मुंगेर में स्थित है। इस संस्थान में एक आश्रम और बिहार योग भारती नामक एक स्कूल भी है। गंगा नदी के किनारे पर स्थित यह आश्रम योग सीखने और इसका अभ्यास करने वालों को उपयुक्त वातावरण उपलब्ध करता है। इस संस्थान में योगाभ्यास करने वाले प्रशिक्षक और पर्यटकए दोनों तरह के लोग आकर ठहर सकते हैं। किंतु उचित होगा कि आप वहां पर ठहरना की व्यवस्था एक माह पहले ही करा लें।

कृष्णमाचार्य योग मंदिर, चेन्नई
यह संस्थान योग का अभ्यास करने के लिए सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है। यह भारत में योग चिकित्सा के लिए अग्रणी संस्थानों में से एक है। यह केंद्र व्यक्ति के लिए योग नामक दर्शन पर आधारित है। इस दृष्टिकोण को विनियोग कहा जाता है और इसका उपयोग व्यक्ति के अनुरूप विशिष्ट योग कार्यक्रम बनाने के लिए किया जाता है। इस प्रकार तैयार किए गए कार्यक्रमों का उपयोग रोग के मूल तक पहुंचनेए उसे उखाड़ने और फिर उसका इलाज करने के लिए किया जाता है। योग को यहां सामान्यीकृत शारीरिक अभ्यास के रूप में नहीं बल्कि चिकित्सा के एक समर्पित पाठ्यक्रम के रूप में माना जाता है। यदि कोई इस केंद्र का हिस्सा बनना चाहता हैए तो उसका साक्षात्कार और भौतिक मूल्यांकन किया जाता है। पाठ्यक्रम के दौरान छात्र रोगों का उल्लेख करते हैं और विशेषज्ञ उन्हें ठीक करने के लिए आसन और अन्य अभ्यास करने को कहते हैं। जब छात्र यह निर्धारित अभ्यास कर कर रहे होते हैंए तब शिक्षकों के साथ उनकी नियमित बैठकें भी की जाती हैं ताकि समस्या का पुनर्मूल्यांकन किया जा सके और आवश्यक होने पर छात्रों को निर्देश दिया जा सके।

इस केंद्र का भवन अपने आप में एक दर्शनीय स्थल है। यहाँ छोटे चिकित्सा कक्ष हैं जहां परामर्शदाता योगाभ्यासी छात्र की जांच करते हैंए और उन्हें ध्यान के चरणों के माध्यम से निर्देशित किया जाता है। यहाँ शांतिपूर्ण वातावरण व्याप्त है तथा हवादार और चिकने फर्श वाले अभ्यास क्षेत्र हैं।

मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, नई दिल्ली
इस संस्थान की स्थापना वर्ष 1970 में हुई थी। यह योग और अन्य प्राचीन विज्ञानों का एक प्रमुख केंद्र है। यह संस्थान एक केंद्रीय एजेंसी के रूप में पूरे भारत में योग का प्रचार और विकास करती है। यहां योग अनुसंधानए योग चिकित्साए योग प्रशिक्षण और योग शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। यह संस्थान 2 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें एक पुस्तकालय हैए जहां योग और उससे संबंधित विषयों पर 9ए000 से अधिक पुस्तकें संग्रहित की गई हैं। यहां एक शैक्षणिक खंड हैए जहां कक्षाएं लगती हैं और अभ्यास होता है। इसके साथ.साथ यहां कॉन्फ्रेंस हॉल भी है जहां ऑडियो.विजुअल सुविधाएं उपलब्ध हैं। यह संस्थान आधुनिक प्रयोगशाला और बायोकैमिकल परीक्षण और अनुसंधान की सुविधा मुहैया करती है। मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

पतंजलि योग पीठ, हरिद्वार
प्राचीन भारतीय आयुर्वेदिक एवं चिकित्सकीय पद्धति में अपना अटूट विश्वास रखने वाला प्रसिद्ध पतंजलि योग पीठए पूरे विश्व को न केवल सभी प्रकार की बीमारियों सेए बल्कि दवाओं से भी मुक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। यहां किसी भी प्रकार की बीमारी के उपचार के लिए महर्षि पतंजलिए चरक संहिता सुश्रुत संहिता जैसी प्राचीन चिकित्सा पद्धतियां अपनाई जाती हैं। संस्थान ने अष्टांग योगए राज योगए ध्यान योगए हठ योगए विभिन्न आसन और प्राणायाम इत्यादि की व्यवाहरिक प्रशिक्षण दिया जाता है। संस्थान का उद्देश्य मानसिक शांतिए बेहतर स्वास्थ्य और आत्मिक संतुष्टि एवं प्रसन्नता का भाव लोगों में जगाना हैए जिसके लिए संस्थान द्वारा नियमित रूप से संस्थान के अंदर और बाहरए योग प्रशिक्षण कक्षाएं संचालित की जाती हैंए जिनका प्रसारण टेलिविजन के माध्यम से भी किया जाता है। संस्थान इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति से संबंधित विभिन्न कोर्स आदि का भी संचालन करता है तथा नित नये शोध भी करता रहता है। योग और आयुर्वेद के प्रति पूरी दुनिया में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से संस्थान पुस्तकोंए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों इत्यादि में भी हिस्सा लेता है। इतना ही नहीं योग पीठ में नेत्र विशेषज्ञए कान.नाक.गला विशेषज्ञए दंत विशेषज्ञ एवं सर्जरीए फिजियोथेरेपी और एक्यूप्रेशर के अलग.अलग विभाग हैं। यह संस्थान अत्याधुनिक मशीनों और उपकरणों से भी पूरी तरह से लैस है। जो पर्यटक कुछ दिन रुककर यहां के माहौल को और करीब से महसूस करना चाहते हैंए उनके लिए यहां ठहरने की भी व्यवस्था है। संस्थान में योगए आयुर्वेद और वनस्पति विज्ञान से संबंधित अनेकों पुस्तकों तथा पांडुलिपियों से समृद्ध एक पुस्तकालय भी है तथा इसके अलावा यहां एक इंटरनेट सर्फिंग सेंटर भी है। स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि योग पीठ ;ट्रस्टद्ध की स्थापना 4 फरवरीए 2005 को की थी।  

प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान का एसडीएम कॉलेज, मेंगलुरू
श्री धर्मस्थल मंजूनाथेश्वर शैक्षणिक सोसाइटी द्वारा अगस्त 1989 में स्थापित प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान का एसडीएम कॉलेज का ध्येय देश की विज्ञान तथा कला की प्राचीन विरासत को पुनर्जीवित करना है। यह राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय से संबद्ध है। यह कर्नाटक सरकार के आयुष विभाग और स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त है। यह संस्थान प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान से संबंधित स्नातक तथा स्नातकोत्तर कार्यक्रम संचालित करता है। यह कॉलेज आधुनिक सुविधाओं के साथ लड़कियों एवं लड़कों के लिए अलग आवास प्रदान करता है। जिन पर्यटकों की रुचि योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा में हैए उन्हें अवश्य यह संस्थान देखने अवश्य जाना चाहिए। वहां जाने से योग की प्राचीन तकनीकों से संबंधित निस्संदेह उनके ज्ञान में वृद्धि होगी। इस संस्थान ने योग में रुचि रखने वालों के लिए मेंगलूरू को एक प्रसिद्ध स्थान बना दिया है तथा अपने छात्रों को निरंतर मूल्यवान शिक्षा प्रदान कर रहा है।  

योग संस्थान, मुंबई
दुनिया के सबसे पुराने संगठित योग केंद्रों में से एक श्योग संस्थानश् सरकार द्वारा संचालित एक गैर.लाभकारी संगठन है। वर्ष 1918 में श्री योगेन्द्र जी द्वारा स्थापितए यह सांताक्रूज़ ;पूर्वद्ध में स्थित है। योगेंद्र जी लोगों को शारीरिक बीमारियों से निपटने और संतुलित जीवन जीने में मदद करने वाली योग की प्राचीन प्रथा को घर.घर पहुंचाना चाहते थे। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने इसी उद्देश्य से इस संस्थान की स्थापना की थी। उन्हें अक्सर आधुनिक योग पुनर्जागरण का पिता कहा जाता है। इस संस्थान में प्रतिदिन हजारों लोगों को न केवल योग के स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताया जाता है बल्कि उन्हें समुचित प्रशिक्षण भी दिया जाता है। योग सिखाने का एक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी यहां संचालित होता है। संस्थान द्वारा अपने लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए कई पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं जो योग चिकित्साए कपल्स काउंसलिंगए आसनए प्राणायमए आचारए पारंपरिक शास्त्र आदि से संबंधित हैं।

रामामणि अयंगार स्मारक योग संस्थान, पुणे
यह संस्थान अयंगार योग के प्रमुख गढ़ के रूप में विख्यात है। रामामणि अयंगार स्मारक योग संस्थान योगाचार्य बीकेएस अयंगार की पत्नी को समर्पित है। पुणे की जनता के लिए इस संस्थान के दरवाज़े 19 जनवरीए 1975 को खोले गए थे। इस भवन में तीन माले हैं। ये तीनों माले मनए तन और आत्मा को समर्पित हैं। यहां पर आठ स्तंभ भी बने हुए हैं जो अष्टांग योग की आठ शाखाओं यानी यमए नियमए आसनए प्राणायामए प्रत्याहारए धारणाए ध्यान और समाधि के सूचक हैं।

इस संस्थान में एक पुस्तकालय भी हैए जिसमें 8ए000 से अधिक किताबें रखी हुई हैं। ये किताबें योगए आयुर्वेद और दर्शनशास्त्र जैसे विषयों से संबंधित हैं। इस संस्थान के परिसर में श्रीमति रामामणि एवं गुरुजी की प्रतिमाएं स्थापित हैं। 81 वर्ष की आयु में शीर्षआसन का प्रदर्शन करने के उपलक्ष्य मेंए बेल्जियम की क्वीन मदर द्वारा गुरुजी की यह प्रतिमा स्थापित की गई थी।