भारत के जंगल विभिन्न प्रकार की वनस्पति तथा वन्यजीवों से भरे पड़े हैं। इन गर्मियों में यहां की सैर करने अवश्य आएं। इन जंगलों में रहने वाले विविध प्रजाति के जानवर हर सुबह धूप का आनंद लेने खुले मैदानों में आ जाते हैं। ऐसे में पर्यटकों को इन वन्यजीवों को देखने का सुअवसर मिलेगा। वे तरह-तरह के जानवरों को देख सकेंगे। यद्यपि अनेक जंगलों में बाघ तो प्रमुख रूप से देखने को मिलेगा, इसके अलावा भी वन्यजीवों की अनेक प्रजातियां भी दिखेंगी। इनमें बर्फीले स्थलों में पाए जाने वाले तेंदुए, काले चीते, एक सींग वाले गेंडे, एशियाई सिंह इत्यादि प्रमुख हैं। इन जानवरों को अपने सामने विभिन्न गतिविधियां करते हुए देखना कम रोमांचकारी नहीं होगा।

बर्फीले तेंदुए, हेमिस राष्ट्रीय उद्यान (लद्दाख)लुप्तप्रायः
बर्फीले तेंदुओं का निवास स्थल लद्दाख स्थित हेमिस राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीवों में रुचि रखने वालों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। बर्फीले तेंदुए, मध्यम आकार की बिल्लियां होती हैं। ये अपने शरीर पर पाए जाने वाले भूरे रंग के बालों तथा काले रंग के धब्बों के लिए प्रसिद्ध हैं। ये धब्बे चट्टानी ढलानों से मेल खाते दिखते हैं। आपको अगर किसी चट्टान के पीछे से दो चमकती आंखें दिखाई दें तो हैरान मत होना, यह बर्फीला तेंदुआ हो सकता है। चट्टान के पीछे छिपना उसकी प्रवृत्ति होती है। वह छिपकर सभी पर नज़र रखता है। भोर में तथा शाम को ये तेंदुए साफतौर पर दिखाई देते हैं। इस समय ये काफी सक्रिय रहते हैं। हिमालय में 5,000 मीटर की ऊंचाई पर ऊबड़-खाबड़ चट्टानों के बीच आप इसे देख पाने में सफलता पा सकते हैं। 

पश्चिमी हिमालयी अल्पाइन झाड़ियों, हिमालयन उपोष्णकटिबंधीय देवदार के जंगलों, हिमालयन अल्पाइन टुंड्रा और घास के मैदानों से सुसज्जित, लद्दाख स्थित हेमिस नेशनल पार्क में विभिन्न वनस्पतियों की एक झलक देखने को मिलती है। बर्फीले तेंदुओं के अतिरिक्त शापू भेड़ भी आकर्षण का मुख्य केंद्र होता है। आपको यहां पर भड़ाल (नीली भेड़), विलुप्तप्रायः युरेशियाई भूरे भालू, लाल लोमड़ी, तिब्बती भेड़िया एवं ग्रेट तिब्बती भेड़ भी देखने को मिलेंगे। परिंदों में रुचि रखने वालों को इस जगह पर हिमालयाई ग्रिफॉन गिद्ध, हिमालय में पाया जाने वाला बर्फीला मुर्गा, सुनहरी बाज, हरे रंगी की छोटी चिड़िया इत्यादि भी देख सकेंगे।
जाने का उचित समयः मई से आरंभिक अक्टूबर तक

एशियाई सिंह, गिर राष्ट्रीय उद्यान (गुजरात)
आपको अगर शानदार सिंह को उन्मुक्त भाव से विचरण करते हुए देखना है तो अफ्रीका के जंगलों के अलावा दुनिया में गिर राष्ट्रीय उद्यान से बेहतर कोई जगह नहीं है। इस उद्यान के अंतर्गत समस्त जंगल बेहद शुष्क एवं पर्णपाती है। इसलिए यह स्थल एशियाई सिंह के लिए उपयुक्त जगह सिद्ध होती है। सिंह और तेंदुए इस उद्यान के मुख्य आकर्षण हैं। इनके अलावा किसी को भी यहां पर सांभर हिरण, चैसिंगा (विश्व में केवल यहीं पाए जाने वाला चार सींगों वाला हिरण), भेड़िया, भारतीय लोमड़ी, लकड़बग्घा इत्यादि देखने को मिल सकते हैं। हालांकि पक्षियों में रुचि रखने वाले भी इस उद्यान की ओर बहुत आकर्षित होते हैं। यहां पर उन्हें 200 से भी अधिक प्रजाति के परिंदे देखने को मिलेंगे। इनमें विलुप्तप्रायः सफेद पीठ और लंबी गर्दन वाले गिद्ध प्रमुख हैं। इस उद्यान में 40 से अधिक प्रजाति के रेंगने वाले तथा उभयचर जन्तु भी मिलते हैं। आपको अगर बड़ी संख्या में नदी में रहने वाले मगरमच्छों को देखना चाहते हैं तो इस अभयारण्य में स्थित कमलेश्वर जलाशय जा सकते हैं। यहां पर आपको सृप भी देखने को मिलेंगे जिनमें किंग कोबरा, नाग, क्रेत एवं रसेल का वाइपर इत्यादि प्रमुख हैं।
जाने का उचित समयः दिसम्बर से मार्च तक

एक सींग वाला गेंडा, काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (असम)
यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व धरोहर स्थली, काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में दुनिया में एक सींग वाले दुर्लभ गेंडों की दो-तिहाई आबादी रहती है। करीब 3,000 किलोग्राम भार वाला गेंडा धरती पर चौथा-सबसे भारी जानवर है। ये गेंडे अधिकतर इंडो-गंगा परिक्षेत्र में पाए जाते हैं।
काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान शक्तिषाली नदी ब्रह्मपुत्र के किनारे पर स्थित है। इस उद्यान में झीलें, जंगल एवं घास के मैदान विद्यमान हैं। इसमें बाघ भी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। इनके अलावा, इस उद्यान में विश्व प्रसिद्ध सृप भी पाए जाते हैं, जिनमें रॉक पायथन, एशिया में पाए जाने वाले अजगर और सबसे लंबा विषैला सांप किंग कोबरा पाए जाते हैं। 

यद्यपि यहां पर बारहसिंगा और पानी में रहने वाले जंगली भैंसे आमतौर पर दिखाई देते हैं, फिर भी अगर आप खुशकिस्मत रहे तो आपको पार्क के बीच में से गुज़रता हाथियों का झुंड भी दिखाई दे जाएगा। इस पार्क के मुख्य आकर्षणों में से एक जीप सफारी से पूरे जंगल का भ्रमण करना है।
 
काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, प्रवासी पक्षियों के लिए महत्त्वपूर्ण स्थली है और यहां पर गंगा में पाई जाने वाली डॉल्फिन भी पाई जाती हैं। आप अगर हाथी की पीठ पर बैठकर पार्क देखना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि पहले से ही बुकिंग करा लें। हाथी की सफारी यहां पर बेहद लोकप्रिय गतिविधि है। इस प्रकार से आपको पार्क के भीतर विद्यमान वन्यजीव देखने को मिलेंगे। वर्ष 2006 में इस पार्क को टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया था। यह पार्क पांच विभिन्न रेंज में विभाजित है। मध्य रेंज कोहारा एवं पष्चिमी बागोरी रेंज के बीच में आपको शानदार वन्यजीव देखने को मिलेंगे। इस पार्क के आसपास प्राचीन मंदिर, सुंदर जलप्रपात एवं हरे-भरे चाय के बागान विद्यमान हैं।जाने का उचित समयः नवम्बर से अप्रैल तक

हाथियों का समूह, मानस राष्ट्रीय उद्यान (असम)
बाघ एवं एक सींग वाले गेंडे के अलावा यह उद्यान हाथियों की बड़ी आबादी के लिए प्रसिद्ध है। मानस राष्ट्रीय उद्यान, भूटान-हिमालय की तराई में स्थित है जहां से कछार के घास के मैदान आरंभ होते हैं। इस उद्यान में विभिन्न प्रकार के वन्यजीव भी देखने को मिलते हैं, जिनमें असम में पाए जाने वाले खरगोश, जंगली सूअर तथा असम में पाए जाने वाले कछुए प्रमुख हैं। यह पार्क विलुप्तप्रायः बंगाल का चरस पक्षी की भी आश्रय-स्थली है।
जाने का उचित समयः अक्टूबर से मई

तेंदुए, बेरा (राजस्थान)
यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व धरोहर स्थली, कुम्भलगढ़ दुर्ग से एक घंटे की दूरी पर स्थित बेरा, राजस्थान में चट्टानी इलाका है जहां पर अनेक गांव स्थित हैं। यह पार्क कभी शाही परिवार के सदस्यों की आखेट-स्थली हुआ करता था। अब यहां पर तेंदुए और स्थानीय लोग शांतिपूर्वक एक दूसरे के साथ रहते हैं, जो अपने आप में एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इस पार्क के पास ही बहने वाली जावाई नदी पर बांध बनाया गया, जो पश्चिमी राजस्थान में मानव निर्मित प्रमुख जलाशय था। बांध बनने के बाद बेरा वन्यजीवों का अभयारण्य बन गया। वर्तमान में यहां आने वाले आगंतुकों को इस अभयारण्य में भेड़िये, लकड़बग्घे, हिरण, भालू, जंगली बिल्ली एवं निस्संदेह तेंदुए भी देखने को मिलते हैं। रोचक तथ्य यह है कि भारत में तेंदुओं की सबसे बड़ी आबादी बेरा में ही पाई जाती है। कुल 25 किलोमीटर की परिधि में 64 तेंदुए पाए जाते हैं। इस कारण से ये आसानी से दिख जाते हैं। तेंदुओं की आबादी बढ़ने का मुख्य कारण बेरा में स्थित एक दूसरे से जुड़ी हुईं गुफाएं हैं। यहां ये सुरक्षित महसूस करते हैं। ये गुफाएं उनकी आश्रय-स्थली हैं और उन्हें तेज़ गर्मी से बचाती हैं। यही कारण है कि ये तेंदुए रात को शिकार के लिए बाहर निकलते हैं।
जाने का उचित समयः अक्टूबर से अप्रैल

एशियाई हाथियों के झुंड, राजाजी राष्ट्रीय उद्यान (उत्तराखंड)
हिमालय की तराई में षिवालिक श्रृंखला की पहाड़ियों के बीच फैला हुआ राजाजी राष्ट्रीय उद्यान एशियाई हाथियों और बाघों की आबादी के लिए प्रसिद्ध है। उत्तराखंड में हाथियों की सबसे अधिक आबादी यहीं पर पाई जाती है। कोई भी इस जंगल में इन स्तनपायी वन्यजीवों को झुंड में आसानी से देख सकता है। 
राजाजी उद्यान में अनेक ज़ोन एवं विभिन्न प्रकार के वन पाए जाते हैं। नदी किनारे स्थित वनों, साल के जंगलों तथा मिश्रित वनों के कारण वन्यजीवों के फलने-फूलने के लिए यह उपयुक्त जगह है। अनेक वन्यजीवों के अलावा यहां पर तेंदुए, हिरण, बाघ एवं घोरल भी देखने को मिल जाते हैं। पक्षियों की गतिविधियों में रुचि रखने वालों में भी यह उद्यान बहुत लोकप्रिय है। यहां पर पक्षियों की 400 से अधिक प्रजातियां देखने को मिलती हैं। सामान्य रूप से यहां पर दिखने वाले पक्षियों में गुल, जंगली बत्तख, छोटी लालसरी, बटवा, तोते, थ्रश, कठफोड़वे, रामचिरैया एवं विभिन्न प्रकार की बत्तखें प्रमुख हैं। यहां पर आपको ग्रेट पाइड हॉर्नबिल (धनेश) भी देखने को मिलेगा।
जाने का उचित समयः नवम्बर से जून

काले चीते, दांदेली वन्यजीव अभयारण्य (कर्नाटक)
बेहद लोकप्रिय जगहों में से एक दांदेली वन्यजीव अभयारण्य में दुर्लभ काले चीते अथवा गहरे भूरे रंग के तेंदुए देखने को मिलते हैं। यहां पर घने उष्णकटिबंधीय जंगल विद्यमान हैं, जो इस बड़ी बिल्ली के आश्रय का सामान्य निवास स्थान है। इस अभयारण्य में आपको बड़ी संख्या में बाघ, हाथी, जंगली कुकुर एवं हिरण भी देखने को मिलेंगे। इतना ही नहीं, मगरमच्छ एवं किंग कोबरा भी इस जंगल के विभिन्न आकर्षणों में से एक हैं। 
पक्षियों की विभिन्न गतिविधियों में रुचि रखने वालों के लिए भी यह अभयारण्य किसी जन्नत से कम नहीं है। यहां पर नीलकंठी बसंता, ग्रेट पाइड हॉर्नबिल (धनेश), मलाबार पाइड हॉर्नबिल एवं शाही बाज जैसे पक्षियों की अनेक प्रजातियां रहती हैं। यहां के घने जंगलों में आपको पंक्तिबद्ध बांस एवं टीक के हरे-भरे वृक्ष देखने को मिलेंगे। इस अभयारण्य को देखने का सबसे उचित तरीका जंगल सफारी है। आप खुली जीपों में बैठकर वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक स्वरूप में देख सकेंगे। काली नदी के किनारे पर बसा यह कर्नाटक का दूसरा सबसे बड़ा अभयारण्य है। इसे देखने देश के हर एक हिस्से से पर्यटक यहां खिंचे चले आते हैं।
जाने का उचित समयः अक्टूबर से मई

बर्फीले तेंदुए, हिमालयी काले भालू,ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क (हिमाचल प्रदेश)
यह पार्क अपने आप में अनोखा है और ट्रैकिंग के माध्यम से यहां के परिदृश्यों का भरपूर आनंद लिया जा सकता है। हिमालय के बेहद संरक्षित क्षेत्रों में से एक और यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व धरोहर, ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में आपको शानदार बर्फीले तेंदुए, हिमालय में रहने वाले काले भालू, सीरो, हिमालयी तहर एवं कस्तूरी मृग देखने को मिलेंगे। पक्षियों में रुचि रखने वालों को यहां पर विलुप्तप्रायः पक्षी जैसे जेवर, कोकलास एवं चीर (तीतर) भी देखने को मिलेंगे। पार्क का अधिकतर हिस्सा तीन तरह के बलूत - बन, मोहरू तथा खारसु के पेड़ों के जंगलों से घिरा हुआ है। ऊंचे पहाड़ों की तराई में फैले घास के सुंदर मैदानों में कैम्पिंग और ट्रैकिंग का अनोखा अनुभव पाने का सुअवसर भी मिलेगा। यह पार्क वन्यजीवों एवं एडवेंचर में रुचि रखने वालों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां पर अनेक ट्रैक हैं, जिनमें से कुछ बेहद कठिन और कुछ सामान्य हैं। ये ट्रैक इस पार्क के उप-क्षेत्रों में व्याप्त हैं। वर्ष 2004 के बाद से अनेक गांवों को इस पार्क के विस्तार में शामिल किया गया है। यहां आने वाले आगंतुकों को स्थानीय लोगों का पर्यावरण के साथ स्थापित अनोखा संबंध भी देखने को मिलेगा।जाने का उचित समयः मार्च से सितम्बर के मध्य तक