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केरल में होने वाली नौका रेसए विशेषकर आलापुझा में होने वाली नौकाओं की रेस बेहद शानदार होती हैं। ये दुनिया भर में बहुत लोकप्रिय हैं। चम्पाकुलम नौका रेस इन सभी में से सबसे पुरानी है और इसका आनंद लेने बड़ी संख्या में लोग आते हैं। विरासत की झलक पेश करने वाली यह नौका रेस उतनी ही प्राचीन हैए जितना कि इस राज्य का इतिहास। यह नौका दौड़ सर्प की भांति पतली और लंबी नौकाओं पर होती है। ये नौकाएं केरल की सांस्कृतिक धरोहर की झांकी पेश करती हैं। राज्य की पम्पा नदी पर इस नौका दौड़ का आयोजन किया जाता है। यह नौका दौड़ ष्मूलमष्के पावन दिवस पर आयोजित की जाती है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार यह मिधुनम का महीना कहलाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन अंबालाप्पुझा श्रीकृष्ण मंदिर के भगवान लोगों के घर में आते हैं।यह नौका दौड़ देखने लायक होती है। नदी पर अनेक नौकाएं पंक्ति में खड़ी होती हैं। उन पर जोश से भरे हुए प्रतिभागी बैठे होते हैंए जो नाव चलाते हैं। हर एक प्रतिभागी यही प्रयास करता है कि वह पूरे दम.खम से नाव चलाए और यह रेस जीत जाए। सभी नाविक एक साथए एक गति में अपनी.अपनी नाव चलाते हैं। जोश का भाव बना रहेए इसके लिए प्रतिभागी गीत भी गुनगुनाते हैं। एक दूसरे को प्रेरित करने के लिए वे लोकसंगीत भी बजाते हैं। 

लोक कथाओं के अनुसारए एक बार शाही पुजारी के निर्देश पर चेम्पाकासेरी के राजा ने मंदिर बनवाया। हालांकि मंदिर को खोलने से पहले उसे सूचित किया गया कि मंदिर में रखी मूर्ति अशुभ है। इसलिए वह श्रीकृष्ण की प्रतिमा लेने कुरिची स्थित कारीकुलम मंदिर गए। लौटते समय राजा ने चम्पाकुलम में विश्राम किया। उसे यह देखकर बहुत हैरानी हुई कि वहां पर हज़ारों की संख्या में विभिन्न रंगों से सजी.धजी नौकाएं खड़ी हैं। जो भगवान की मूर्ति को मंदिर तक ले जाने के इंतज़ार में थीं। हर साल इस नौका दौड़ से पहले यह दृश्य अवश्य मंचित किया जाता है।