गांधीनगर में स्थित, हिंदुस्तान शिपयार्ड देश का सबसे बड़ा जहाज निर्माण यार्ड है। इसी शिपयार्ड में स्वतंत्र भारत का पहला जहाज 'जल उषा' का निर्माण किया गया था। 46.2 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला, यह शिपयार्ड प्लाज्मा कटिंग मशीन, स्टील प्रोसेसिंग और वेल्डिंग, मैटेरियल हेंडलिंग इक्विमेंट, क्रेन्स, लॉजिस्टिक्स और स्टोरेज की सुविधाओं से युक्त है। शिपयार्ड में टेस्टिंग और मेज़रिंग की सुविधाएं भी मौजूद हैं। यहां मौजूद कवर बिल्डिंग डॉक का इस्तेमाल वेसल्स (vessels) बनाने के लिए किया जाता है। शिपयार्ड में एक ड्राइ डॉक, वेट बेसिन और शिप, सबमरीन की रिपेयरिंग और रेट्र्रोफिटिंग सेंटर है। हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड 180 वेसल्स बना चुका है और यहां लगभग 2000 जहाजों की मरम्मत की जा चुकी है। शिपयार्ड केरियर्स, ऑफशोर पेट्रोल वेसल्स, सर्वे शिप्स, ड्रिल शिप्स, ऑफशोर प्लेटफॉर्म्स की रिपेयरिंग करता है और सपोर्ट वेसल्स बनाता है। इस भव्य शिपयार्ड के इतिहास को खंगालना एक अद्भुत अनुभव है।

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