देश की सबसे बड़ी गुफाओं में से एक, बोर्रा गुफाएं, लाखों वर्ष पुरानी स्टैलेक्टाइट (stalactite) और स्टैलेग्माइट (stalagmite) संरचनाओं का घर हैं। समुद्र तल से 1,400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, ये अद्भुत गुफाएं पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण है। इस क्षेत्र में चूना पत्थर के जमाव पर गोस्थानी नदी के प्रवाह के परिणामस्वरूप ये गुफाएं अस्तित्व में आईं हैं। यहां देखे जा सकने वाले कुछ सबसे अधिक प्रचलित स्टैलेक्टाइट और स्टैलेग्माइट फॉर्मेशन में भगवान शिव और उनकी पत्नी देवी पार्वती, उनके बच्चे, एक मगरमच्छ, एक मानव मस्तिष्क और एक बाघ शामिल हैं। इन गुफाओं की खोज भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के विलियम किंग जॉर्ज ने की थी। कहा जाता है कि बोर्रा गुफाओं की पहली बार खोज उस समय हुई, जब एक चरवाहा अपनी खोई गाय को ढूंढ़ते-ढूंढ़ते अचानक ही इन गुफाओं में पहुंच गया। गुफा के काफी भीतर उसे एक शिवलिंग और अपनी गाय मिली। उसने यह सोचा कि भगवान शंकर ने उसकी गाय की रक्षा की है। इसके बाद गांव वालों ने इन गुफाओं के बाहर एक छोटा मंदिर बना दिया। इस कारण यह किसी दर्शनीय स्थल से कम नहीं है, बोर्रा गुफाओं को देखने के लिए पर्यटक पूरे देश से आते हैं।

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