देश का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गुंबद, गोल गुम्बज वास्तुशिल्प की एक अनूठी मिसाल है। मुहम्मद आदिलशाह के मकबरे का निर्माण वर्ष 1656 में दाबुल के वास्तुकार याक़ूत द्वारा किया गया था। इस मकबरे के निर्माण में किसी पिलर (स्तंभ) का प्रयोग नहीं हुआ है। हर साल हजारों पर्यटक इससे आकर्षित होते हैं। इसमें सात मंजिला अष्टकोणीय खंभे हैं, जो रेलिंग के ठीक नीचे बड़े ब्रैकेट वाले कॉर्निस के साथ हैं। इस संरचना में एक आश्चर्यजनक ध्वनि चमत्कार देखने को मिलता है। इसकी गैलरी में आवाज गुंजती है, और आलम ये है कि एक फुसफुसाहट जैसी धीमी आवाज भी गैलरी में कुल 11 बार गूंज सकती है। गुंबद का गोल गुंबद नाम ’गोम गुम्मत’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है गोलाकार गुंबद। यह वास्तुकला की दक्कनी शैली में बना है। यह मकबरा एक विशालकाय घन है, जिसके ऊपर से एक गोलार्ध गुंबद बनाया गया है। संरचना की प्रत्येक मंजिल में सात धनुषाकार खिड़कियां हैं, जो छोटे गुंबदों द्वारा सुसज्जित हैं। सुंदर हरे-भरे बागों से घिरा यह स्मारक न केवल विजयपुर का सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है, बल्कि यह दुनिया के सभी कोनों से पर्यटकों को आकर्षित करता है।

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