उज्जैन के शासक, राजा विक्रमादित्य के नाम पर, विक्रम विश्वविद्यालय की स्थापना 1957 में हुई। इस विश्वविद्यालय में पुरातात्विक संग्रहालय, आर्ट गैलरी, सभागार और सिंधिया ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट है, जिसमें प्राकृत, फ़ारसी, अरबी और अन्य भारतीय भाषाओं की 18,000 पांडुलिपियां रखी हुई हैं। वृक्षों की छाल और ताड़ के पत्तों पर लिखी कुछ दुर्लभ पांडुलिपियां भी यहां मौजूद हैं। पर्यटक, विक्रम कीर्ति मंदिर संग्रहालय भी घूम सकते हैं। यहां नर्मदा घाटी में खोजी गई मूर्तियों, शिलालेखों, ताम्रपत्रों और जीवाश्मों की एक समृद्ध श्रृंखला के साथ-साथ एक आदिम हाथी की विशाल खोपड़ी भी मौजूद है। वर्ष 1965 में इस संग्रहालय का निर्माण किया गया था। यहां विशेष रूप से राजा विक्रमादित्य के शासन काल से लेकर आगे के युगों के अवशेष और दैनिक जीवन की उपयोगी वस्तुएं सुरक्षित हैं। यह सारी चीज़ें उज्जैन के निर्माण और गठन की कहानी बयां करती हैं। इस संग्रहालय में श्रीमद्भागवत की एक सचित्र पांडुलिपि भी मौजूद है, जिसके चित्रों में असली सोने और चांदी का उपयोग किया गया है।

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