उज्जैन से 150 किमी की दूर नर्मदा नदी के तट पर महेश्वर का मंदिर शहर है। ऐसा माना जाता है कि भारतीय सभ्यता की शुरुआत से ही इसका अस्तित्व रहा है तथा महाभारत और रामायण के महाकाव्यों में भी इसका उल्लेख है। इसके बाद, यह राजा कार्तिवार्जुन की राजधानी महिष्मती के रूप में जानी गई। यह रंग-बिरंगे घरों, हलचल भरे घाटों और भगवा पहने साधुओं और तीर्थयात्रियों वाला मनोरम शहर है। यह प्राचीन भारत के गौरव की याद दिलाता है। माना जाता है कि होल्करों के शासन में, विशेष रूप से वर्ष 1767 से 1795 के बीच रानी अहिल्याबाई होल्कर के समय में यहां अत्यधिक विकास हुआ। हाल-फिलहाल में, इस मंदिरों वाले शहर में अशोक और तुलसी जैसी फिल्मों की शूटिंग भी हुई। यहां पहुंचने पर, अहिल्या किला, महेश्वर महल, बाणेश्वर मंदिर, शिव ज्योतिर्लिंगम मण्डलेश्वर मंदिर को जरूर देखना चाहिए। शाम के समय यहां घाट पर जाकर प्रार्थना में शामिल हों और अहिल्याबाई और विठोजी राव के स्मारकों को देखें। हाथ से बनी विख्यात सिल्क और कॉटन माहेश्वरी साड़ियों की खरीदारी के लिए यहां के स्ट्रीट मार्केट में अवश्य घूमना चाहिए।

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