सिटी पैलेस

विशाल सिटी पैलेस पिछोला झील के किनारे से शुरू होता है। यह उदयपुर और राजस्थान के शाही इतिहास का एक शानदार प्रतीक है। उदयपुर की सबसे आकर्षक जगहों में से एक, सिटी पैलेस राजस्थान का सबसे बड़ा महल है। सामने से 244 मीटर लंबे और 30.4 मीटर ऊंचे इस महल के अंदर 11 छोटे महल हैं। महल का निर्माण सन् 1599 में शहर के संस्थापक महाराणा उदय सिंह द्वितीय द्वारा शुरू किया गया था, जिसे उनके उत्तराधिकारियों ने आगे बढ़ाया। हालांकि आज देखने में ऐसा लगता है जैसे कि किसी एक ही आदमी के दिमाग की उपज हो। इसमें दो शानदार पैलेस होटल, एक स्कूल और मशहूर सिटी पैलेस संग्रहालय(म्यूज़ियम) शामिल हैं।

सजी-धजी मीनारों, गुंबद, गोल चौखटों और उभरी हुई बालकनियों के साथ, सिटी पैलेस वास्तुशिल्प(आर्किटेक्चर) के किसी चमत्कार से कम नहीं है और इसमे राजस्थानी, मुगल, यूरोपीय और पूर्वी वास्तुकला की मिली-जुली झलक मिलती है। इसमें आंगनों, मंडपों, छतों, गलियारों, कमरों और हैन्गिंग गार्डन्स की एक भूलभुलैया-सी है। किलेबंदी से घिरे इस आलीशान महल को ग्रेनाइट और संगमरमर से बनाया गया है।

सिटी पैलेस

पिछोला झील

भव्य पहाड़ों, विशाल किलों और आकर्षक महलों से घिरी, पिछोला झील किसी सपनों की दुनिया से कम नहीं लगती। झील की नीली सतह पर सूर्योदय की पहली किरण के गिरने का नज़ारा जादू-सा लगता है। और ढलते सूरज के साथ हरे-भरे पहाड़ों की परछाइयों का पानी पर पड़ना और साथ-साथ आसपास के रेस्तरां, होटलों और टिमटिमाते सितारों की रोशनी को लहरों पर तैरते देखना भी उतना ही सुंदर दिखाई देता है। उदयपुर के बीचोबीच मौजूद, पिछोला झील शहर की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी झीलों में से एक है। यह वर्ष 1362 में महाराणा लाखा के शासन के दौरान पिचू बजनारा द्वारा बनाई गई थी। कहानियां तो यह भी कहती हैं कि झील की सुंदरता ने महाराणा उदय सिंह को उसके किनारे एक शहर बनाने के लिए लुभाया था। महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने इसको विस्तार दिया। उन्होंने बैडिपोल क्षेत्र में झील पर एक पत्थर का बांध भी बनवाया। आज, झील 4 किमी लंबी और 3 किमी चौड़ी है।
झील पर चार द्वीप हैं: जग निवास, जहां आज होटल लेक पैलेस है, जग मंदिर, जहां इसी नाम का एक महल है, मोहन मंदिर, जहां से राजा हर साल होने वाले गणगौर उत्सव समारोह का आनंद लेते थे और अरसी विलास, एक छोटा-सा द्वीप है, जिसमें एक छोटा महल और एक गोला-बारूद का भंडार था। बताया जाता है कि इसे उदयपुर के एक राजा ने झील पर सूर्यास्त का आनंद लेने के लिए बनाया था। यहां एक अभयारण्य भी है, जहां पर तरह-तरह के पक्षी जैसे एग्रेट्स, कॉर्मोरेंट, कूट, टफ्टेठ बतख, टर्न और किंगफ़िशर देखे जा सकते हैं। कई जगहों पर झील के किनारों को जोड़ने के लिए सुंदर गोलाकार पुल बनाए गए थे। आज इस झील के पूर्वी किनारे पर शानदार सिटी पैलेस है, तो दूसरी ओर दक्षिणी किनारे पर मचला मगरी (मचाला मगरा) या मछली पहाड़ी है, जिस पर एकलिंगगढ़ किले के खंडहर मौजूद हैं।

झील पर की जाने वाली बोट राइड उदयपुर के सबसे बेहतरीन अनुभवों में से एक है। और शांत झील की सैर के दौरान, लेखक रूडयार्ड किपलिंग के इन शब्दों का सही अर्थ समझ आता है: "यदि विनीशियन के पास पिछोला झील होती, तो उसका ये कहना सही ही होता कि, 'मरने से पहले इसे ज़रुर देखना चाहिए'"!

पिछोला झील

मानसून पैलेस

यह महल अरावली के बांसडारा पहाड़ी पर है और इसके सामने फतेह सागर झील का खूबसूरत नज़ारा दिखता है। इसके सफेद रंग की वजह से यह बिलकुल परियों के महल जैसा लगता है। जिसकी दीवारों में कई राजाओं और रानियों की यादें बसी हैं। 19 वीं सदी के इस संगमरमर के महल का निर्माण मेवाड़ राजवंश के महाराजा सज्जन सिंह ने करवाया था। इसका नाम राजा के नाम पर ही रखा गया था। मूल रूप से इसे अंतरिक्ष के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए बनाया गया था। सज्जन सिंह की असामयिक मृत्यु के बाद इसे मानसून महल और रॉयल हंटिंग लॉज(शिकार करने के लिए) में बदल दिया गया।

यह महल शाही परिवार के लिए बनाया गया था ताकि वे मानसून के बादलों को देखने का आनंद ले सकें। इस रेगिस्तान वाले राज्य में यह महल कभी खुशी का प्रतीक माना जाता था और आज भी यहां से उदयपुर और आसपास के गांवों और झीलों के बेहद खूबसूरत नज़ारे देखने को मिलते हैं, खासकर ढलते सूरज के दौरान। पहाड़ी के नीचे 5-वर्ग कि.मी में फैली सज्जन गढ़ वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी है, जहां चीतल, सांभर, जंगली सूअर, और नीले बैल जैसे जानवर देखे जा सकते हैं। पास में ही जीवन सागर झील है, जो बादी झील के नाम से भी मशहूर है।

मानसून पैलेस

बागोर की हवेली

पिछोला झील के गंगोरी घाट पर शानदार बागोर की हवेली मौजूद है। 18 वीं शताब्दी में मेवाड़ राज्य के तत्कालीन प्रधानमंत्री अमर चंद बडवा द्वारा निर्मित, बागोर की हवेली भारत के स्वतंत्र होने तक एक निजी संपत्ति थी। आज, आलीशान वास्तुकला के साथ यह हवेली, एक संग्रहालय है। एक विशाल आंगन, बालकनियां, झरोखे, मेहराब, कपोल और एक फव्वारे के साथ बागोर की हवेली मेवाड़ की समृद्ध विरासत का परिचायक है। लगभग 138 कमरों वाली इस हवेली के अंदरूनी हिस्सों को आकर्षक ग्लासवर्क और म्युरल्स से सजाया गया है, जिसमें शाही महिलाओं के कक्ष भी शामिल हैं, जो जटिल रंगीले ग्लास की खिड़कियों के लिए प्रसिद्ध हैं।

हवेली के विशाल दरवाज़ों से अंदर आने पर यह वास्तुकला के किसी चमत्कार के रूप में दिखाई देती है। इसमें एक आकर्षक आंगन है, जिसके केंद्र में डबल-लेयर्ड कमल के आकार का फव्वारा है। जैसे ही आप अंदर जाते हैं, दायीं ओर कमरों की एक श्रंखला है, जहां से पिछोला झील के शानदार दृश्य देखने को मिलते हैं। हवेली में तीन चौक हैं: कुआं चौक, नीम चौक और तुलसी चौक। तुलसी चौक परिवार की महिलाओं के लिए आरक्षित था। कांच महल (आईनों से बना मार्ग) और दर्री खाना परिवार के पुरुषों द्वारा उपयोग किए जाने वाले क्षेत्र थे। ईन सभी में दीवान-ए-खास सबसे बड़ा कक्ष था।

बागोर की हवेली

लेक पैलेस

पिछोला झील के बीचोबीच स्थित, लेक पैलेस झील की नीली सतह पर तैरता सफेद रंग के किसी सपने जैसा लगता है। और हर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय, महल झिलमिलाते सुनहरे पानी में पिघलता हुआ-सा प्रतीत होता है।

इसे वर्ष 1743 और 1746 के बीच चार एकड़ के जग निवास द्वीप पर महाराणा जगत सिंह द्वितीय की देखरेख में उनके गर्मियों के महल के रूप में बनाया गया था। इस सफेद संगमरमर के महल को मूल रूप से जग निवास के रूप में जाना जाता था। बाद में जगत सिंह के वंशजों ने गर्मियों के रिसॉर्ट के रूप में इसका इस्तेमाल किया। आज, इसमें एक आलीशान पांच सितारा होटल है।

लेक पैलेस